Ghabraye Huye Shabd

Author:

Leeladhar Jaguri

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs135 Rs150 10% OFF

Availability: Out of Stock

Out of Stock

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2009
ISBN-13

9788126717903

ISBN-10 9788126717903
Binding

Hardcover

Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 1000
Book discription is not available

Leeladhar Jaguri

न्म: 1 जुलाई, 1940, धंगण गाँव (सेम मुखेम), टिहरी (उत्तराखंड)। राजस्थान और उत्तर प्रदेश के अलावा भी अनेक प्रान्तों और शहरों में कई प्रकार की जीविकाएँ करते हुए शालाग्रस्त शिक्षा के अनियमित क्रम के बाद हिन्दी साहित्य में एम.ए.। फौज (गढ़वाल राइफल) में सिपाही। लिखने-पढ़ने की उत्कट चाह के कारण तत्कालीन रक्षामन्त्री कृष्ण मेनन को प्रार्थना पत्र भेजा, फलतः फौज की नौकरी से छुटकारा। छब्बीसवें वर्ष में पूरी तरह घर वापसी और परिवार की खराब आर्थिक स्थिति के कारण सरकारी जूनियर हाईस्कूल में शिक्षक की नौकरी। बाद में पब्लिक सर्विस कमीशन उत्तर प्रदेश से चयनोपरांत उत्तर प्रदेश की सूचना सेवा में उच्च अधिकारी और पहाड़ से बीस वर्ष का स्वैच्छिक निर्वासन। सेवा-निवृत्ति के बाद नए राज्य उत्तराखंड में सूचना सलाहकार, ‘उत्तरांचल दर्शन’ के प्रथम सम्पादक तथा उत्तराखंड संस्कृति साहित्य कला परिषद के प्रथम उपाध्यक्ष रहे। जगूड़ी ने 1960 के बाद की हिन्दी कविता को एक नई पहचान दी है। प्रकाशित कविता-संग्रह: शंखमुखी शिखरों पर, नाटक जारी है, इस यात्रा में, रात अब भी मौजूद है, बची हुई पृथ्वी, घबराए हुए शब्द, भय भी शक्ति देता है, अनुभव के आकाश में चाँद, महाकाव्य के बिना, ईश्वर की अध्यक्षता में, खबर का मुँह विज्ञापन से ढका है। ‘कवि ने कहा’ सीरीज में कविताओं का चयन। गद्य: मेरे साक्षात्कार। प्रौढ़ शिक्षा के लिए ‘हमारे आखर’ तथा ‘कहानी के आखर’ का लेखन। ‘उत्तर प्रदेश’ मासिक और राजस्थान के शिक्षक- कवियों के कविता-संग्रह ‘लगभग जीवन’ का सम्पादन। अनेक भाषाओं में कविताओं के अनुवाद। सम्मान: रघुवीर सहाय सम्मान, भारतीय भाषा परिषद कलकत्ता का सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का नामित पुरस्कार। ‘अनुभव के आकाश में चाँद’ (1994) के लिए 1997 में साहित्य अकादमी पुरस्कार। 2004 में पर्शिं्री से अलंकृत। सम्प्रति: स्वतन्त्र लेखन।
No Review Found
More from Author