Hamjad

Author:

Manohar Shyam Joshi

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs125

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2008
ISBN-13

9788126702268

ISBN-10 9788126702268
Binding

Paperback

Number of Pages 153 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 118
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Manohar Shyam Joshi

जन्म: 9 अगस्त, 1933 को अजमेर में। लखनऊ विश्वविद्यालय के विज्ञान स्नातक मनोहर श्याम जोशी ‘कल के वैज्ञानिक’ की उपाधि पाने के बावजूश्द रोजी-रोटी की खातिर छात्र जीवन से ही लेखक और पत्रकार बन गए। अमृतलाल नागर और अज्ञेय - इन दो आचार्यों का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हुआ। स्कूल मास्टरी, क्लर्की और बेरोजगारी के अनुभव बटोरने के बाद 21 वर्ष की उम्र से वह पूरी तरह मसिजीवी बन गए। प्रेस, रेडियो, टी.वी. वृत्तचित्र, फिल्म, विज्ञापन-सम्प्रेषण का ऐसा कोई माध्यम नहीं जिसके लिए उन्होंने सफलतापूर्वक लेखन-कार्य न किया हो। खेल-कूद से लेकर दर्शनशास्त्र तक ऐसा कोई विषय नहीं जिस पर उन्होंने कलम न उठाई हो। आलसीपन और आत्मसंशय उन्हें रचनाएँ पूरी कर डालने और छपवाने से हमेशा रोकता रहा है। पहली कहानी तब छपी जब वह अठारह वर्ष के थे लेकिन पहली बड़ी साहित्यिक कृति तब प्रकाशित करवाई जब सैंतालीस वर्ष के होने को आए। केन्द्रीय सूचना सेवा और टाइम्स ऑफ इंडिया समूह से होते हुए सन् ’67 में हिन्दुस्तान टाइम्स प्रकाशन में साप्ताहिक हिन्दुस्तान के संपादक बने और वहीं एक अंग्रेजी साप्ताहिक का भी संपादन किया। टेलीविजन धारावाहिक ‘हम लोग’ लिखने के लिए सन् ’84 में संपादक की कुर्सी छोड़ दी और तब से आजीवन स्वतंत्र लेखन करते रहे। प्रकाशित कृतियाँ: कुरु-कुरु स्वाहा, कसप, हरिया हरक्यूलीज की हैरानी, हमज़ाद, क्याप, ट-टा प्रोफेसर (उपन्यास); नेताजी कहिन (व्यंग्य); बातों-बातों में (साक्षात्कार); एक दुर्लभ व्यक्तित्व, कैसे किस्सागो, मन्दिर घाट की पैड़ियाँ (कहानी-संग्रह); आज का समाज (निबंध); पटकथा लेखन: एक परिचय (सिनेमा)। टेलीविजन धारावाहिक: हम लोग, बुनियाद, मुंगेरीलाल के हसीन सपने, कक्काजी कहिन, हमराही, जमीन-आसमान। फिल्म: भ्रष्टाचार, अप्पू राजा और निर्माणाधीन जमीन। सम्मान: उपन्यास क्याप के लिए वर्ष 2005 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार सहित शलाका सम्मान (1986-87); शिखर सम्मान (अट्ठहास, 1990); चकल्लस पुरस्कार (1992); व्यंग्यश्री सम्मान (2000) आदि अनेक सम्मान प्राप्त।.
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