बिसात : तीन बहनें तीन आख्यान' एक अनूठी कथा-कृति है ! कथा-साहित्य में विख्यात मंजुल भगत, मृदुला गर्ग और अचला बंसल तीनों सगी बहनें हैं ! मंजुल भगत अब हमारे बीच नहीं हैं ! मृदुला गर्ग व् अचला बंसल निरंतर सक्रीय हैं ! तीनों के लेखन की पृथक पहचान होने के बावजूद कुछ सूत्र ऐसे हैं जिनपर साझा अनुभवों के विविध रंग दिख जाते हैं ! मृदुला गर्ग के शब्दों में, 'तीनों के काफी अनुभव साझा रहे ! जिंदगी में कितने ऐसे किरदार थे, जिनसे तीनों का साबका पड़ा ! कितने ऐसे हालत थे, जिनका तीनो ने नजारा किया
Mridula Garg
मृदुला गर्ग के रचना-संसार में लगभग सभी गद्य विधाएँ सम्मिलित हैं। उपन्यास, कहानी, नाटक, निबन्ध, यात्रा-संस्मरण, कटाक्ष आदि। प्रकाशित पुस्तकें: उसके हिस्से की धूप, वंशज, चित्तकोबरा, अनित्य, मैं और मैं, कठगुलाब, मिलजुल मन और वसु का कुटुम (उपन्यास)। कुल प्रकाशित कहानियाँ—90, जिनको लेकर 2003 तक प्रकाशित 8 कहानी-संग्रहों की सम्पूर्ण कहानियों की पुस्तक संगति-विसंगति नाम से प्रकाशित। एक और अजनबी, जादू का कालीन, साम दाम दण्ड भेद, $कैद-दर-$कैद (नाटक)। रंग-ढंग, चुकते नहीं सवाल, कृति और कृतिकार, (निबन्ध-संग्रह)।मेरे साक्षात्कार (साक्षात्कार), कुछ अटके कुछ भटके (यात्रा-संस्मरण)। कर लेंगे सब हज़म, खेद नहीं है (व्यंग्य-संग्रह)। आपकी रचनाओं का अनुवाद अंग्रेज़ी, जर्मन, चेक, जापानी, उर्दू, मराठी,पंजाबी, राजस्थानी, तमिल और तेलुगू आदि भाषाओंं में हो चुका हैं। पुरस्कार/सम्मान: अनेक पुरस्कारों के साथ कठगुलाब को व्यास सम्मान, मिलजुल मन को साहित्य अकादेमी पुरस्कार, उसके हिस्से की धूप को मध्य प्रदेश का अखिल भारतीय वीरसिंह सम्मान, जादू का कालीन को मध्य प्रदेश का ही अखिल भारतीय सेठ गोविन्द दास सम्मान प्राप्त। कठगुलाब दिल्ली वि.वि. के बी.ए. पाठ्यक्रम तथा कई विश्वविद्यालयों में स्त्री-रचना/विमर्श पाठ्यक्रमों में शामिल है।.
Mridula Garg
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