Hindi Kahani Ka Itihas : Vol. 1 (1900-1950)

Author :

Gopal Ray

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2008
ISBN-13

9788126716289

ISBN-10 8126716282
Binding

Hardcover

Number of Pages 480 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 21 X 14 X 2.5

यह हिन्दी कहानी का पहला व्यवस्थित इतिहास है और हिन्दी-उर्दू का पहला समेकित इतिहास तो यह है ही। उल्लेखनीय है कि इस अवधि के अनेक कहानीकार एक साथ हिन्दी और उर्दू दोनों भाषाओं में लिख रहे थे। इनमें प्रेमचन्द प्रमुख हैं। इसके अलावा सुदर्शन, उपेन्द्रनाथ अश्क आदि भी उर्दू और हिन्दी में साथ-साथ लिख रहे थे। इनकी हिन्दी और उर्दू में भी, लिपि को छोड़कर, कोई विशेष अन्तर नहीं है। कथ्य और संरचना में, भाषिक आधार पर तो, कोई अन्तर है ही नहीं। उर्दू की अधिकतर उल्लेखनीय कहानियाँ हिन्दी में रूपान्तरित या देवनागरी में लिप्यन्तरित भी हो चुकी हैं। ...उर्दू कहानियों पर अधिकतर सामग्री उर्दू साहित्य के इतिहास-ग्रन्थों और आलोचना-पुस्तकों से ली गई है, और यथास्थान उनका सन्दर्भ भी दे दिया गया है। इस किताब में हिन्दी और उर्दू के साथ-साथ भोजपुरी, मैथिली और राजस्थानी के कहानी-साहित्य को भी स्थान दिया गया है। इस पुस्तक में जिस अवधि के कहानी-साहित्य का इतिहास प्रस्तुत किया गया है, उस अवधि में अहिन्दीभाषियों और प्रवासी भारतीयों द्वारा लिखित कहानी-साहित्य का कोई सुनियोजित विवरण उपलब्ध नहीं है। इस कारण उस विशाल, और कदाचित् मूल्यवान, साहित्य को इस ‘इतिहास’ में स्थान देना सम्भव नहीं हो सका है।


इस किताब में उर्दू-हिन्दी और मैथिली-भोजपुरी-राजस्थानी के लगभग 100 कहानी-लेखकों और 3000 कहानियों का कमोबेश विस्तार के साथ विवेचन या उल्लेख किया गया है। कहानी-लेखकों और कहानी-संग्रहों की अक्षरानुक्रम सूची अनुक्रमणिका में दे दी गई है। इसके साथ ही जो कहानियाँ किसी भी कारण चर्चित रही हैं, या उल्लेखनीय हैं, उनकी अक्षरानुसार सूची भी उपलब्ध करा दी गई है। आशा है, इससे पाठकों की जिज्ञासाओं की तुष्टि हो सकेगी।

Gopal Ray

जन्म: 13 जुलाई, 1932 को बिहार के बक्सर जिले के एक गाँव, चुन्नी में, (मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र के अनुसार)। शिक्षा: आरम्भिक शिक्षा गाँव और निकटस्थ कस्बे के स्कूल में। माध्यमिक शिक्षा बक्सर हाई स्कूल, बक्सर और कॉलेज की शिक्षा पटना कॉलेज, पटना में। स्नातकोत्तर शिक्षा हिन्दी-विभाग पटना विश्वविद्यालय, पटना में। पटना विश्वविद्यालय से ही 1964 में 'हिन्दी कथा साहित्य और उसके विकास पर पाठकों की रुचि का प्रभाव’ विषय पर डी.लिट. की उपाधि। 21 फरवरी, 1957 को पटना विश्वविद्यालय, पटना में हिन्दी प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति और वहीं से 4 दिसम्बर, 1992 को प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्ति। प्रकाशित पुस्तकें: हिन्दी कथा साहित्य और उसके विकास पर पाठकों की रुचि का प्रभाव (1966), हिन्दी उपन्यास कोश: खंड-1 (1968), हिन्दी उपन्यास कोश: खंड-2 (1969), उपन्यास का शिल्प (1973), अज्ञेय और उनके उपन्यास (1975), हिन्दी भाषा का विकास (1995)। हिन्दी कहानी का इतिहास-1 (2008), हिन्दी कहानी का इतिहास-2 (2011), हिन्दी कहानी का इतिहास-3 (2014)। 'उपन्यास की पहचान’ शृंखला के अन्तर्गत: शेखर: एक जीवनी (1975), गोदान: नया परिप्रेक्ष्य (1982), रंगभूमि: पुनर्मूल्यांकन (1983), मैला आँचल (2000), दिव्या (2001), महाभोज (2002), हिन्दी उपन्यास का इतिहास (2002), उपन्यास की संरचना (2005), अज्ञेय और उनका कथा-साहित्य (2010)। सम्पादन: पं. गौरीदत्त कृत देवरानी-जेठानी की कहानी (1966), हिन्दी साहित्याब्द कोश: 1967-1980 (1968-81), राष्ट्रकवि दिनकर (1975)। जुलाई, 1967 से समीक्षा पत्रिका का कई वर्षों तक सम्पादन-प्रकाशन। निधन: 25 सितम्बर, 2015
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