Hindu Hindutva Hindustan (Hindi)

Author:

Sudhir Chandra

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2023
ISBN-13

9788126707102

ISBN-10 8126707100
Binding

Paperback

Edition 4th
Number of Pages 152 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 25.5X14X1
Weight (grms) 167

सारे बौद्धिक प्रयत्न के बावजूद, ‘हिन्दू अवचेतन’ अपने को ही भारतीय मानता है। भारत जैसे बहुधर्मी और सांस्कृतिक वैविध्य से भरपूर देश के लिए ऐसी मान्यता अनिवार्यतः अनिष्टकारी है। पिछले कुछ समय से यह मान्यता अवचेतन से निकलकर उत्तरोत्तर आक्रामक होती जा रही है। बौद्धिक प्रयत्न के बावजूद नहीं, बल्कि खुलकर एक विचारधारा के रूप में यह हिन्दू को ही राष्ट्र मान बैठी है। ख़तरा यदि प्रधानतः विचारधारा और उससे जुड़ी किसी राजनीतिक पार्टी का होता तो उससे जूझना मुश्किल न होता। पर आज परेशानी यह है कि ‘हिन्दू अवचेतन’ कहीं न कहीं उन बातों को अपनी अँधेरी गहराइयों में मानता है, जिनको चेतना के स्तर पर वह राष्ट्र के लिए घातक और नैतिक रूप से अवांछनीय समझता है। ज़रूरी है कि उसका सामना इस दुविधा से कराया जाए।—इसी पुस्तक से

Sudhir Chandra

वर्षों से सुधीर चन्द्र आधुनिक भारतीय सामाजिक चेतना के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते रहे हैं। राजकमल से ही प्रकाशित—हिन्दू, हिन्दुत्व, हिन्दुस्तान (2003), गाँधी के देश में (2010), गाँधी: एक असम्भव सम्भावना (2011), रुक्माबाई: स्त्री, अधिकार और कानून (2012), बुरा वक्त अच्छे लोग (2017), भूपेन खख्खर: एक अन्तरंंग संस्मरण (2020) के बाद हिन्दी में यह उनकी नयी पुस्तक है। अँग्रेज़ी में उनकी पुस्तकें—डिपेंडेंस एण्ड डिसइलूज़नमेंट: नेशनल कांशसनेस इन लेटर नाइन्टींथ सेंचुरी इण्डिया (2011), कांटिन्युइंग डिलेमाज़: अण्डरस्टैंडिंग सोशल कांशसनेस (2002), एंस्लेव्ड डॉटर्स: कॉलोनियलिज़्म, लॉ एण्ड विमेन्स राइट्स (1997) और द ऑप्रेसिव प्रज़ैन्ट: लिटरेचर एण्ड सोशल कांशसनेस इन कॉलोनियल इण्डिया (1992)। सुधीर चन्द्र देश-विदेश के अनेक अकादेमिक संस्थानों से सम्बद्ध रहे हैं।
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