Aangan Mein Ek Vriksh

Author:

Dushyant Kumar

Publisher:

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Rs365 Rs450 19% OFF

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Publisher

RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD

Publication Year 2017
ISBN-13

9788171197415

ISBN-10 9788171197415
Binding

Hardcover

Number of Pages 144 Pages
Language (Hindi)
Weight (grms) 320
आँगन में एक वृक्ष -- दुष्यन्त कुमार ने बहुत-कुछ लिखा पर जिन अच्छी कृतियों से उनके रचनात्मक वैभव का पता चलता है, यह उपन्यास उनमें से एक है। उपन्यास में एक सामन्ती परिवार और उसके परिवेश का चित्रण है। सामन्त जमीन और उससे मिलनेवाली दौलत को कब्जे में रखने के लिए न केवल गरीब किसानों, अपने नौकर-चाकरों और स्त्रियों का शोषण और उत्पीड़न करता है, बल्कि स्वयं को और जिन्हें वह प्यार करता है, उन्हें भी बर्बादी की तरफ ठेलता है, इसका यहाँ मार्मिक चित्रण किया गया है। उपन्यास बड़ी शिद्दत से दिखाता है कि अन्ततः सामन्त भी मनुष्य ही होता है और उसकी भी अपनी मानवीय पीड़ाएँ होती हैं, पर अपने वर्गीय स्वार्थ और शोषकीय रुतबे को बनाए रखने की कोशिश में वह कितना अन होता चला जाता है, इसका खुद उसे भी अहसास नहीं होता। उपन्यास के सारे चरित्र चाहे वह चन्दन, भैनाजी, माँ, पिताजी और मंडावली वाली भाभी हों या फिर मुंशीजी, यादराम, भिक्खन चमार आदि निचले वर्ग को हों - सभी अपने परिवेश में पूरी जीवन्तता और ताजगी के साथ उभरते हैं। उपन्यासकार कुछ ही वाक्यों में उनके पूरे व्यक्तित्व को उकेरकर रख देता है। और अपनी परिणति में कथा पाठक को स्तब्ध तथा द्रवित कर जाती है। दुष्यन्त कुमार की भाषा के तेवर की बानगी यहाँ भी देखने को मिलती है - कहीं एक भी शब्द न फालतू, न सुस्त। अत्यन्त पठनीय तथा मार्मिक कथा-रचना।.

Dushyant Kumar

जन्म: 1 सितम्बर, 1933, राजपुर-नवादा, जि़ला बिजनौर (उ.प्र.)। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), इलाहाबाद। प्रकाशित कृतियाँ: कविता-संग्रह: सूर्य का स्वागत, जलते हुए वन का वसन्त। उपन्यास: छोटे-छोटे सवाल, दुहरी जिन्दगी और आँगन में एक वृक्ष। नाटक: मसीहा मर गया, मन के कोण (एकांकी)। नाट्य-काव्य: एक कण्ठ विषपायी। साये में धूप उनका अन्तिम तथा अत्यन्त चर्चित गज़ल-संग्रह है। इसके अलावा कुछ आलोचनात्मक पुस्तकें, कुछ उपन्यास (जिन्हें खुद दुष्यन्त कुमार ‘फालतू’ कहते थे) लिखे तथा कुछ महत्त्वपूर्ण पुस्तकों के अनुवाद भी किए। निधन: 30 दिसम्बर, 1975, भोपाल (म.प्र.।).
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