Gharanedar Gayaki   (Hb)

Author:

Vamanrao Hari Deshpande

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs796 Rs995 20% OFF

Availability: Available

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2020
ISBN-13

9789389577884

ISBN-10 9789389577884
Binding

Hardcover

Number of Pages 314 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 460
N.A.

Vamanrao Hari Deshpande

पचास वर्षों से अधिक कालावधि तक श्री वामन हरि देशपाण्डे चार्टर्ड अकाउण्टेंट के रूप कार्यरत रहे, लेकिन उनका हमेशा ही यह मानना रहा कि संगीत ही उनका पहला प्रेम है। बचपन से उन्हें संगीत के संस्कार मिले और उन्होंने संगीत के तीन मुख्य घरानों की तालीम ली: ग्वालियर (श्री यादवराव जोशीजी से), किराना (श्री सुरेशबाबू मानेजी से) व जयपुर (श्री नत्थन खाँ व श्रीमती मोगू बाई कुर्डिकरजी से)। वे आकाशवाणी बम्बई से 1932-1985 तक अपना गायन पेश करते रहे। कुछ वर्षों तक वे केन्द्रीय आकाशवाणी के श्रवण खाते के सदस्य रहे व आकाशवाणी संगीत स्पर्धा के न्यायाध्यक्ष के पैनल के सदस्य भी रहे थे। महाराष्ट्र राज्य साहित्य एवं संस्कृति मण्डल की कला समिति व बम्बई विश्वविद्यालय की संगीत सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में भी वे कार्यरत रहे। इनके अलावा वे कई संगीत संस्थाओं से विभिन्न पदों पर जुड़े रहे। वे 'महाराष्ट्र का सांगीतिक योगदान’ नामक पुस्तक के लेखक हैं। (महाराष्ट्र सूचना केन्द्र, नयी दिल्ली 1973) उनकी मराठी पुस्तक 'घरन्दाज़ गायकी’ को 1962 में महाराष्ट्र राज्य पुरस्कार मिला। संगीत नाटक अकादेमी, नयी दिल्ली ने भी इस पुस्तक को 1961-1969के काल की संगीत की सर्वोत्तम पुस्तक का पुरस्कार देकर गौरवान्वित किया। उनकी अगली पुस्तक 'आलापिनी’ (1979) को भी महाराष्ट्र राज्य पुरस्कार प्रदान किया गया था। उन्होंने मराठी एवं अँग्रेज़ी में संगीत पर अनेक शोध निबन्ध लिखे व अनेक संगीत सभाओं में अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किये। अपनी प्रस्तावना में प्राध्यापक देवधर ने कहा है कि 'उनमें गायन व विश्लेषण की क्षमता के गुणों का दुर्लभ मेल होने की वजह से वे इस प्रकार की पुस्तक लिखने के विशिष्ट तौर पर योग्य हैं।’
No Review Found
More from Author