Publisher |
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Publication Year |
1997 |
ISBN-13 |
9788170283140 |
ISBN-10 |
9788170283140 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
464 Pages |
Language |
(Hindi) |
Weight (grms) |
670 |
कालजयी रचना ‘मधुशाला’ के रचयिता हरिवंशराय बच्चन हिन्दी के सबसे लोकप्रिय कवि हैं जिनकी गिनती बीसवीं सदी के अग्रगण्य कवियों में सबसे ऊपर है। इस संकलन को स्वयं बच्चन जी ने तैयार किया था। इसमें उन्होंने अपनी सभी काव्य रचनाओं में जो उनकी नज़र में श्रेष्ठ थीं-उन्हें इसमें सम्मिलित किया। अलग-अलग समय, परिस्थिति और जीवन के पड़ाव के विभिन्न रंगों को दर्शाती ये कविताएं कवि की सम्पूर्ण काव्य-यात्रा से परिचित कराती हैं।
Harivansh Rai Bachchan
हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर, 1907 को प्रयाग में हुआ था। उनकी शिक्षा म्युनिसिपल स्कूल, कायस्थ पाठशाला, गवर्नमेंट कालेज, इलाहाबाद युनिवर्सिटी और काशी विश्वविद्यालय में हुई। 1941 से 1952 तक वे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अंग्रेज़ी के लेक्चरर रहे। 1952 से 1954 तक इंग्लैण्ड में रहकर उन्होंने एक वर्ष अपने पूर्व पद पर तथा कुछ मास आकाशवाणी, इलाहाबाद में काम किया। फिर सोलह वर्ष दिल्ली में रहे-दस वर्ष विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ के पद पर और छह वर्ष राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के रूप में। 18 जनवरी, 2003 को उनका स्वर्गवास हो गया। बच्चनजी को उनकी आत्मकथा के लिए भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार 'सरस्वती सम्मान-1991' से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार' सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो-एशियन राइटर्स कान्फ्रेंस का 'लोटस पुरस्कार' भी मिल चुका है। राष्ट्रपति ने भी उन्हें 'पद्मभूषण' से अलंकृत किया। हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने उन्हें 'साहित्य वाचस्पति' की उपाधि प्रदान की।
Harivansh Rai Bachchan