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Publisher | LOKBHARTI PRAKASHAN |
Publication Year | 2009 |
ISBN-13 | 9788180314056 |
ISBN-10 | 8180314057 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 113 Pages |
Language | (Hindi) |
हिन्दू बनाम हिन्दूभारतीय इतिहास की सबसे बड़ी लड़ाई हिन्दू धर्म में उदारवाद और कट्टरता की लड़ाई, पिछले पाँच हजार सालों से भी अधिक समय से चल रही है और उसका अन्त अभी भी दिखाई नहीं पड़ता। इस बात की कोई कोशिश नहीं की गई, जो होनी चाहिये थी, कि इस लड़ाई को नजर में रखकर हिन्दुस्तान के इतिहास को देखा जाये। लेकिन देश में जो कुछ होता है, उसका बहुत बड़ा हिस्सा इसी के कारण होता है।सभी धर्मों में किसी न किसी समय उदारवादियों और कट्टरपंथियों की लड़ाई हुई है। लेकिन हिन्दू धर्म के अलावा वे बँट गये, अकसर उनमें रक्तपात हुआ और थोड़े या बहुत दिनों की लड़ाई के बाद, वे झगड़े पर काबू पाने में कामयाब हो गये। हिन्दू धर्म में लगातार उदारवादियों और कट्टरपंथियों का झगड़ा चला आ रहा है जिसमें कभी एक की जीत होती है कभी दूसरे की और खुला रक्तपात तो कभी नहीं हुआ, लेकिन झगड़ा आजतक हल नहीं हुआ और झगड़े के सवालों पर एक धुन्ध छा गया है।ईसाई, इस्लाम और बौद्ध सभी धर्मों में झगड़े हुए। कैथोलिक मत में एक समय इतने कट्टरपंथी तत्व इकट्ठा हो गये कि प्रोटेस्टेन्ट मत ने, जो उस समय उदारवादी था, उसे चुनौती दी। लेकिन सभी लोग जानते हैं कि सुधार आन्दोलन के बाद प्रोटेस्टेन्ट मत में खुद भी कट्टरता आ गई। कैथोलिक और प्रोटेस्टेन्ट मतों के सिद्धान्तों में अब भी बहुतेरे फर्क हैं, लेकिन एक को कट्टरपंथी और दूसरे को उदारवादी कहना मुश्किल है। ईसाई धर्म में सिद्धान्त और संगठन का भेद है तो इस्लाम धर्म में शिया-सुन्नी का बँटवारा इतिहास के घटना क्रम से सम्बन्धित है। इसी तरह बौद्ध धर्म हीनयान और महायान के दो मतों में बँट गया और उनमें कभी रक्तपात तो नहीं हुआ, लेकिन उनका मतभेद सिद्धान्त के बारे में है, समाज की व्यवस्था से उसका कोई सम्बन्ध नहीं।हिन्दू धर्म में ऐसा कोई बँटवारा नहीं हुआ। अलबत्ता वह बराबर छोटे-छोटे मतों में टूटता रहा है। नया मत उतनी ही बार उसके ही एक नये हिस्से के रूप में वापस आ गया है। इसीलिये सिद्धान्त के सवाल कभी साथ-साथ नहीं “उठे और सामाजिक संघर्षो का हल नहीं हुआ। हिन्दू धर्म नये मतों को जन्म देने में उतना ही तेज है जितना प्रोटेस्टेनन मत, लेकिन उन सभी के ऊपर वह एकता का एक अजीब आवरण डाल देता है जैसी एकता कैथोलिक संगठन ने अन्दरूनी भेदों पर रोक लगाकर कायम की है। इस तरह हिन्दू धर्म में जहाँ एक ओर कट्टरता और अंधविश्वास का घर है, वहीं वह नयी- नयी खोजों की व्यवस्था भी है।
Ram Manohar Lohiya
LOKBHARTI PRAKASHAN