Publisher |
Manjul Publishing House |
Publication Year |
2015 |
ISBN-13 |
9788183225885 |
ISBN-10 |
8183225888 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
176 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
22 x 14 x 1.5 |
Weight (grms) |
240 |
हर इंसान का जीवन जिस महान सूत्र पर आधारित होना चाहिए, वह है- पहले राम, फिर काम। इसी सूत्र को पकड़कर भरत ने अयोध्या का राज-काज सँभाला। लक्ष्मण हर पल श्रीराम की सेवा में रहे और हनुमान ने तो समुंदर पार करने से लेकर लंका दहन, संजीवनी पर्वत लाने जैसे अनेक दुर्लभ कार्य कर दिखाए। तो आइए, हम भी अपने भीतर स्थित प्रेम, कर्म भावना और वासना की पहचान पाकर, जान लें- * हमारे भीतर राम कौन है और रावण कौन है? * हर काम से भी पहले करने योग्य वह प्रथम काम कौन सा है, जिसे करने के बाद आगे के सभी काम सफल होते हैं? * अपनी कामनाओं के पीछे की भावनाएँ क्यों बदलना जरूरी है? * प्रेम, काम और वासना क्या है, येे एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न है? * अपनी और दूसरों की चेतना का स्तर कैसे बढ़ाएँ? * चरित्र की नींव मजबूत कैसे करें? * भक्ति में आनेवाली रूकावटों को कैसे हटाएँ ? * क्रोध पर विजय क्यों प्राप्त करें? * संवादों की शक्ति का सही इस्तेमाल कैसे करे? यह पुस्तक रामकथा की सभी बारीकियों, उसमें छिपी अनमोल सीखों को प्रकाशित करने में पूरी तरह सक्षम है। इसे पढ़कर आप निश्चय ही कह उठेंगे- ‘इस बात का यह अर्थ है, ऐसा तो मैंने कभी सोचा ही न था..!’
Sirshree
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था i इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया i इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया i उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया i जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लम्बी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी, जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ i सरश्री ने दो हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सत्तर से अधिक पुस्तकों की रचना की है, जिन्हें दस से अधिक भाषाओँ में अनुवादित किया जा चुका है i
Sirshree
Manjul Publishing House