Publisher |
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ISBN-13 |
9789386300249 |
ISBN-10 |
9789386300249 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
168 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
13.97 x 1.27 x 21.59 |
Weight (grms) |
280 |
कहा जाता है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। लोकतंत्र में भी परिवर्तन होते रहते हैं, लेकिन सही अर्थों में परिवर्तन, जो देश, काल और परिस्थिति पर अपनी अमिट छाप छोड़ सके, ऐसा कम ही देखने को मिलता है। राजनीति में वर्षों बाद ऐसे मौके आते हैं, जब वह परिवर्तन की गवाह बनती है। राजनीति में सही अर्थों में परिवर्तन के लिए मजबूत इच्छाशक्ति और देश के सर्वांगीण विकास हेतु कुछ कर गुजरने की तमन्ना होना आवश्यक है। भारत को जब आजादी मिली थी तो इतिहास ने एक करवट ली। जनाकांक्षा हिलोरें ले रही थीं और आजादी के रोमांटिसिज्म में जनता दशकों तक परिवर्तन की अपेक्षा नहीं कर रही थी। आजादी के करीब सड़सठ साल बाद जनता ने देश में परिवर्तन की आकांक्षा से राजनीतिक बदलाव पर अपनी मुहर लगाई। भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला और साथ ही मिला पूरा करने के लिए जनता की अपेक्षाओं का अंबार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाईवाली सरकार ने इन जनाकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए कई योजनाओं और नीतियों का ऐलान किया और इन्हें कार्यान्वित करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इन योजनाओं के लेखा-जोखा का परिणाम है यह पुस्तक, जिसमें देशभर के पत्रकारों, ब्लॉगर्स और लेखकों ने जमीनी स्तर पर जो देखा-पाया, वो लिखा।.
Anant Vijay
अनंत विजय करीब ढाई दशक से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। राजनीति, साहित्य और सिनेमा पर आपके लिखे की देशभर में व्याप्ति है। आपने भागलपुर विश्वविद्यालय से इतिहास में बी.ए. (ऑनर्स), दिल्ली विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर, पत्रकारिता में एमएमसी और बिजनेस मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया है। आपकी ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें प्रसंगवश, कोलाहल कलह में, विधाओं का विन्यास, बॉलीवुड सेल्फी, लोकतंत्र की कसौटी और मार्क्सवाद का अर्धसत्य काफी चर्चित रहीं। फिलहाल दैनिक जागरण में एसोसिएट एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं।
आपको सिनेमा पर सर्वोत्कृष्ट लेखन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (स्वर्ण कमल) से सम्मानित किया जा चुका है।
Anant Vijay