साहित्य के मौजूदा दौर में पाठ-सुख वाली कहानियाँ कम होती जा रही हैं। इस संकलन की कहानियों में पाठ-सुख भरपूर है। लेकिन यह सुख तात्कालिक नहीं है बल्कि ये निर्विवाद कहानियाँ देर तक स्मृति में बनी रहती हैं। लोकप्रियता और विचार-केन्द्रित कथा का मिजाज मुश्किल से मिलता है पर इन कहानियों में यह सुमेल इसलिए सम्भव हो पाया क्योंकि यहाँ पाठकों के प्रति गम्भीर सम्मान है। ये कहानियाँ पाठकों को उपभोक्ता नहीं, सहभोक्ता; श्रोता नहीं, संवादक बनने का अवसर देती हैं। इनमें विचार उपलाता नहीं, अन्तर्धारा की तरह बहता है, क्योंकि यह सृजन पाठक-लेखक सहभागिता पर टिका है।
Arun Prakash
अरुण प्रकाश
जन्म: 1948, बेगूसराय (बिहार)।
शिक्षा: स्नातक, प्रबंध विज्ञान और पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा।
कहानी-संग्रह: भैया एक्सप्रेस, जल-प्रांतर, मँझधार किनारे, लाखों के बोल सहे, विषम राग।
उपन्यास: कोंपल कथा।
कविता संकलन: रात के बारे में।
अनुवाद: अंग्रेजी से हिन्दी में विभिन्न विषयों की आठ पुस्तकों का अनुवाद।
अनुभव: कुछ अखबारों, पत्रिकाओं का सम्पादन, कई धारावाहिकों, वृत्तचित्रों तथा टेलिफिल्मों से सम्बद्ध रहे। कई स्तम्भों का लेखन।
प्रायः एक दशक से कथा-समीक्षा और आलोचना लेखन। अनेक राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठियों में सहभागिता।
सम्मान: साहित्यकार सम्मान, हिन्दी अकादमी, दिल्ली; कृति पुरस्कार, हिन्दी अकादमी, दिल्ली; रेणु पुरस्कार, बिहार शासन; दिनकर सम्मान; सुभाषचन्द्र बोस कथा सम्मान; कृष्ण प्रताप स्मृति कथा पुरस्कार।
सम्प्रति: स्वतंत्र लेखन।
Arun Prakash
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd