Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2007 |
ISBN-13 |
9788126700479 |
ISBN-10 |
9788126700479 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
154 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
141 |
रांगेय राघव के कहानी-लेखन का मुख्य दौर भारतीय इतिहास की दृष्टि से प्त हलचल-भरा विरल कालखंड है, कम मौकों पर भारतीय जनता ने इतने स्वप्न और दुःस्वप्न एक साथ देखे थे-आशा और हताशा ऐसे अड़ोस-पड़ोस में खड़ी देखी थी । और रांगेय राघव की कहानियों की विशेषता यह है कि उस पूरे समय की शायद ही कोई घटना हो जिसकी गूँजे-अनुगूंजें उनमें न सुनी जा सकें । सच तो यह है कि रांगेय राघव ने हिन्दी कहानी को भारतीय समाज के उन धूल-काँटों भरे रास्तों, आवारे-खफंडरों-चरजीवियों की फक्कड़ जिन्दगी, भारतीय गाँवों की कच्ची और कीचड़-भरी पगडंडियों की गश्त करवाई, जिनसे वह भले ही अब तक पूर्णत: अपरिचित न रही हो पर इस तरह हिली-मिली भी नहीं थी; और इन 'दुनियाओं' में से जीवन से लबलबाते ऐसे-ऐसे कद्दावर चरित्र प्रकट किए जिन्हें हम विस्मृत नहीं कर सकेंगे । 'गदल' को क्या कोई भूल सकता है!
Rangeya Raghav
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd