Pratinidhi Kavitayen

Author:

Mangalesh Dabral

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs150

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2017
ISBN-13

9788126729968

ISBN-10 9788126729968
Binding

Paperback

Number of Pages 152 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 110
आलोकधन्वा कहते हैं कि 'मंगलेश फूल की तरह नाज़ुक और पवित्र हैं।' निश्चय ही स्वभाव की सचाई, कोमलता, संजीदगी, निस्पृहता और युयुत्सा उन्हें अपनी जड़ों से हासिल हुई है, पर इन मूल्यों को उन्होंने अपनी प्रतिश्रुति से अक्षुण्ण रखा है। मंगलेश डबराल की काव्यानुभूति की बनावट में उनके स्वभाव की केन्द्रीय भूमिका है। उनके अन्दाज़े-बयाँ में संकोच, मर्यादा और करुणा की एक लजिऱ्श है। एक आक्रामक, वाचाल और लालची समय में उन्होंने सफलता नहीं, सार्थकता को स्पृहणीय माना है और जब उनका मन्तव्य यह हो कि मनुष्य होना सबसे बड़ी सार्थकता है, तो ऐसा नहीं कि यह कोई आसान मकसद है, बल्कि सहज ही अनुमान किया जा सकता है कि यह आसानी कितनी दुश्वार है।

Mangalesh Dabral

मंगलेश डबराल हिन्दी के कवि, पत्रकार और अनुवादक हैं। आपकी कविता के 10 संग्रह और संचयन, जिनमें दो अंग्रेज़ी अनुवाद हैं ; दो यात्रा-संस्मरण और दो समीक्षात्मक गद्य की पुस्तकें प्रकाशित हैं। आपकी कविताएँ प्रमुख भारतीय और विदेशी भाषाओं में प्रकाशित हुई हैं और आपने कई राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय कविता समारोहों में शिरकत की है। कई पुरस्कारों से सम्मानित मंगलेश राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में स्वतंत्र लेखन करते हैं।
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