Raha Gayi Dishayen Isi Paar

Author:

Sanjeev

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs254 Rs299 15% OFF

Availability: Available

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2018
ISBN-13

9788126721894

ISBN-10 9788126721894
Binding

Paperback

Number of Pages 312 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 321
सृष्टि और संहार, जीवन और मृत्यु के बफर-जोन पर खडे़ आदमी की नियति से साक्षात्कार करता संजीव का यह उपन्यास हिन्दी साहित्य में जैविकी पर रचा गया पहला उपन्यास है। उपन्यास के पारम्परिक ढाँचे में गैर पारम्परिक हस्तक्षेप और तज्जनित रचाव और रसाव इसकी खास पहचान है। निरंतर नए से नए और वर्जित से वर्जित विषय के अवगाहनकर्ता संजीव ने इसमें अपने ही बनाए दायरों का अतिक्रमण किया है और अपने ही गढ़े मानकों को तोड़ा है। मिथ, इतिहास, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नए से नए विषय तथा चिन्तन की प्रयोग भूमि है यह उपन्यास और यह जीवन और मृत्यु के दोनों छोरों के आर-पार तक ढलकता ही चला गया है, जहाँ काल अनंत है, जहाँ दिशाएँ छोटी पड़ जाती है, जहाँ गहराइयाँ अगम हो जाती हैं और व्याप्तियाँ अगोचर.

Sanjeev

मौजूदा दौर के हिन्दी साहित्य के प्रथम पांक्तेय हस्ताक्षर। अड़तीस वर्षों तक एक रासायनिक प्रयोगशाला में कार्य, सात वर्षों तक ‘हंस’ समेत कई पत्रिकाओं का सम्पादन और स्तम्भ-लेखन तथा प्राय: दो वर्षों तक महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा और अन्य विश्वविद्यालयों में अतिथि लेखक रहे संजीव का अनुभव-संसार विविधताओं से भरा हुआ है। साक्षी हैं इनकी प्राय: दो सौ कहानियाँ और अहेर, सर्कस, सावधान! नीचे आग है, धार, पाँव तले की दूब, जंगल जहाँ शुरू होता है, सूत्रधार, आकाश चम्पा, रह गईं दिशाएँ इसी पार, रानी की सराय (किशोर उपन्यास) आदि कृतियाँ। नवीनतम हैं कृषक आत्महत्या पर केन्द्रित फाँस और छत्रपति शाहूजी पर केन्द्रित प्रत्यंचा। कुछ कृतियों पर फ़िल्में बनी हैं, कुछ की पटकथाएँ लिखी हैं। बीस-एक उपन्यास और कहानियाँ विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों के पाठ्यक्रम में। अपने समकालीनों में सबसे ज़्यादा शोध इन्हीं की कृतियों पर हुए हैं। कथाक्रम सम्मान, पहल सम्मान, अन्तरराष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान, सुधा सम्मान समेत अनेक सम्मानों से सम्मानित। नवीनतम है हिन्दी साहित्य के शीर्ष सम्मानों में से एक ‘इफको’ का श्रीलाल शुक्ल स्मृति साहित्य सम्मान-2003।.
No Review Found
More from Author