Rangmanch Ka Soundyashastra (Hindi)

Author:

Devendra Raj Ankur

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2023
ISBN-13

9789395737654

ISBN-10 9395737654
Binding

Paperback

Edition 4th
Number of Pages 175 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22X14.5X1.5
Weight (grms) 186

साहित्य, चित्रकला, स्थापत्य और यहाँ तक कि संगीत और नृत्य के सन्दर्भ में भी सौन्दर्यशास्त्र की अवधारणा धीरे-धीरे विकसित होती गई है। जहाँ तक नाटक और रंगमंच का प्रश्न है, इस विषय में अभी तक किसी गम्भीर चर्चा अथवा विमर्श की शुरुआत नहीं हुई है। इसके कई कारण हो सकते हैं। एक तो यही कि रंगमंच को प्रायः दूसरे कला माध्यमों का मिश्रित रूप मानने के कारण उनके जो सौन्दर्यशास्त्रीय प्रतिमान रहे हैं, उन्हीं को कमोबेश रंगमंच पर भी आरोपित किया जाता रहा है। दूसरे, पिछले डेढ़ सौ वर्षों में आधुनिक भारतीय रंगमंच अपनी एक निजी शैली की खोज में इतना व्यस्त रहा कि शायद इस तरफ़ किसी का ध्यान ही नहीं गया। सवाल है कि नाटक और रंगमंच में लिखित आलेख और उसकी प्रस्तुति का क्या कोई अलग-अलग सौन्दर्यशास्त्र होना चाहिए अथवा दोनों के लिए एक शास्त्र से ही काम चल सकता है ? इन सारे कारणों से अलग और नाटक व उसकी प्रस्तुति से भी पहले रंगमंच के सौन्दर्यशास्त्र पर एक संवाद आरम्भ करने की एक कोशिश है यह पुस्तक।

Devendra Raj Ankur

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