Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2010 |
ISBN-13 |
9788171788354 |
ISBN-10 |
9788171788354 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
280 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
444 |
सितारे रात में ही चमकते हैं या कहें कि हर सितारे का एक अँधेरा भी होता है। लेकिन दर्शक की नजर अक्सर सितारों पर ही जाती है, उनके अँधेरों पर नहीं। यह प्रक्रिया हमारी फितरत से भी संबंध रखती है, और सीमा से भी शोभा डे इसी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करती हैं। वे उन अँधेरों को भी उघाड़कर देखती हैं, जिन्हें रोशनी ने छुपाया हुआ है। विडंबना यह कि लेखिका की आँख से देखे और दिखाए गए ये अँधेरे 'बॉलीवुड' की जिन सच्चाइयों को उजागर करते हैं, उन्हें अक्सर ही 'गॉसिप' कहकर नकार दिया जाता है। लेखिका ने स पुस्तक में मुंबई की फिल्मी दुनिया के जिन चरित्रों को चित्रित किया है, वे अमूर्त नहीं हैं।
Shobha De
वर्ष 1948 में महाराष्ट्र में जन्मी शोभा डे की शिक्षा दिल्ली और मुम्बई में हुई। मुम्बई के सेंट ज़ेवियर कॉलेज से उन्होंने मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और 1970 में पत्राकारिता जगत में कदम रखा। उन्होंने तीन चर्चित पत्रिकाओं–स्टारडस्ट, सोसायटी और सेलिब्रिटी–की नींव रखी और उनका सम्पादन किया। सन्डे और मेगा सिटी पत्रिकाओं की वे सलाहकार सम्पादक रहीं। शोभा डे आजकल स्वतंत्रा लेखन में रत हैं। वे कई अखबारों और पत्रिकाओं के लिए कॉलम लिखती हैं जिनमें प्रमुख हैं : द टाइम्स ऑफ इंडिया, द स्टेट्समैन, इंडियन एक्सप्रेस और द वीक। 1988 में उन्होंने अपना पहला बहुचर्चित उपन्यास सोशलाइट इवनिंग्स लिखा था।
Shobha De
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