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Publisher | Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year | 2023 |
ISBN-13 | 9788119092208 |
ISBN-10 | 8119092201 |
Binding | Paperback |
Edition | 3rd |
Number of Pages | 96 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 22X14X1 |
Weight (grms) | 110 |
बद्रीनारायण अपनी पीढ़ी के उन दो-तीन कवियों में हैं जिनकी कविता से एक साफ़ चेहरा और कुछ रास्ता निकलता नज़र आता है। यह महज़ अच्छे और ‘होनहार’ कवि ही नहीं, सामाजिक अंतःकरण रखने वाले कवि भी है। अपनी परिस्थिति और अपनी काव्यवस्तु से उनका रिश्ता प्रगीतात्मक होकर भी ज़मीनी, जिम्मेदार और क़तई मामूली है और उसी के नाप की भाषा और संवेदना उन्होंने अर्जित की है। उक्ति-वैचित्र्य, बेपर की उड़ान और वाक् चातुर्य से किसी क़दर परहेज़ करते हुए वह एक ही चक्कर में घर-बार, दुनिया-जहान, अंतरिक्ष और तारामण्डल के नज़ारों को समेट लाते हैं। इसकी वजह है, उनके अनुभव की अखण्डता और भाव-जगत की सचाई। उनकी कविता में कोई नक़ली सेट नहीं है, न ऐसी सृष्टि जो सिर्फ़ कविता के लिए रची गई हो।बद्रीनारायण जिस ‘लोक’ का बयान करते हैं उसमें विभिन्न चीजों ओर मनोभावों के अपने वज़न, आयतन, अनुपात और सापेक्ष स्थिति का खयाल रखते हैं। वह किसी चीज़ को ‘लार्जर दैन लाइफ़’ साइज़ में पेश करने के विशेषाधिकार का ज़्यादा इस्तेमाल नहीं करते। स्केल की यह समझ सिर्फ़ उनकी शैली या काव्यगत स्ट्रेटेजी की ही नहीं, उस दार्शनिक रवैये की निशानदेही करती है जिसमें मानवीय खुद्दारी, बेकली और करुणा तो है, मनुष्य होने की बिलावजह अकड़ और प्रशस्ति नहीं है। ऐसे विनम्र मानववाद से ही वह आत्मिक संगीत निकल सकता है जो इतिहास के वर्तमान चरण में हमारे संकट, व्यथा, रुदन, चिंता और आघात से रिश्ता बनाता हो। हिन्दी में कहने को तो व्यापकतर सामाजिक और नैतिक सरोकार की कविता खूब लिखी जाती है, पर ग़ौर से देखें तो वह बहुत संकीर्ण दायरे और सीमित कार्यक्रम की कविता है। बद्रीनारायण की कविता इस दायरे को बढ़ाने और इस कार्यक्रम में कुछ बातें जोड़ने का काम करती है। इसे पढ़कर यह उम्मीद भी बँधती है कि बद्रीनारायण भविष्य में जीवन में आशा-निराशा के उपलब्ध स्रोतों से परे जाकर सांस्कृतिक-सामाजिक संकट की तीव्रता और जटिलता को एक चुनौती और एक बुलावे की तरह स्वीकार करेंगे, क्योंकि वह उस सन्तुलन, विवेक और निश्चय के मालिक हैं जो कविता को मात्र एक संरक्षणात्मक क्रिया ही नहीं, एक आलोचनात्मक और परिवर्तनकामी कर्म बनाते हैं ।–असद ज़ैदी
Badri Narayan
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd