Bhagwan Mahaveer Evam Jain Darshan

Author :

Mahaveer Saran Jain

Publisher:

LOKBHARTI PRAKASHAN

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Publisher

LOKBHARTI PRAKASHAN

Publication Year 2006
ISBN-13

9788180315008

ISBN-10 8180315002
Binding

Paperback

Number of Pages 304 Pages
Language (Hindi)
भगवान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तमान काल के चौबीसवें तीर्थंकर हैं। आपने धर्म के क्षेत्र में मंगल क्रान्ति सम्पन्न की। आपने उद्घोष किया कि आँख मूँदकर किसी का अनुकरण या अनुसरण मत करो। धर्म दिखावा नहीं है, रूढ़ि नहीं है, प्रदर्शन नहीं है, किसी के भी प्रति घृणा एवं द्वेषभाव नहीं है, मनुष्य एवं मनुष्य के बीच भेदभाव नहीं है, मनुष्य-मनुष्येतर प्राणी के बीच विषम-भाव नहीं है। आपने धर्मों के आपसी भेदों के विरुद्ध आवाज़ उठाई। धर्म एक ऐसा पवित्र अनुष्ठान है जिससे आत्मा का शुद्धिकरण होता है। आपने अहिंसा को परम धर्म के रूप में मान्यता प्रदान कर, धर्म की सामाजिक भूमिका को रेखांकित किया। आर्थिक विषमताओं के समाधान का रास्ता परिग्रह-व्रत के विधान द्वारा निकाला। भगवान महावीर ने पहचाना कि धर्म साधना केवल संन्यासियों एवं मुनियों के लिए ही नहीं अपितु गृहस्थों के लिए भी आवश्यक है। आपने संयस्तों के लिए महाव्रतों के आचरण का विधान किया तथा गृहस्थों के लिए अणुव्रतों के पालन का विधान किया।

Mahaveer Saran Jain

जन्म 17 जनवरी , 1941 हिन्दी के अन्तरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान एवं प्रख्यात भाषावैज्ञानिक शैक्षिक योग्यताएँ : एम.ए. ( हिन्दी ) ( 1960 ) , डी.फिल . ( हिन्दी - भाषाविज्ञान ) ( 1962 ) , डी.लिट् , ( हिन्दी भाषाविज्ञान ) ( 1967 ) । प्रोफेसर जैन ने भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक , रोमानिया के बुकारेस्त विश्वविद्यालय के हिन्दी के विजिटिंग प्रोफेसर तथा जबलपुर के विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी एवं भाषाविज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष के रूप में कार्य किया तथा हिन्दी के अध्ययन अध्यापन एवं अनुसन्धान तथा हिन्दी के प्रचार - प्रसार विकास के क्षेत्रों में विश्व स्तर पर योगदान दिया है । प्रोफेसर जैन ने भारत सरकार के योजना आयोग के शिक्षा प्रभाग के सदस्य के रूप में कार्य किया । अनेक मन्त्रालयों की राजभाषा सलाहकार समितियों के सदस्य रहे । 25 से अधिक विश्वविद्यालयों के पी - एच . डी . एवं डी . लिट् . उपाधियों के लिए प्रस्तुत शताधिक शोध - प्रबन्धों का परीक्षण कार्य किया । अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों , परिसंवादों एवं संगोष्ठियों की अध्यक्षता की अथवा मुख्य व्याख्यान दिए । सम्मान उत्तर प्रदेश सरकार का ' साहित्य भूषण पुरस्कार ' , भारतीय शिक्षा परिषद् , उत्तर प्रदेश द्वारा साहित्य वाचस्पति , डॉक्टर भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय , आगरा से ' ब्रज विभूति सम्मान ' , भारतीय राजदूतावास , बुकारेस्त ( रोमानिया ) बुकारेस्त विश्वविद्यालय में हिन्दी शिक्षण में योगदान के लिए ' स्वर्ण पदक ' । प्रमुख पुस्तकें परिनिष्ठित हिन्दी का ध्वनिग्रामिक अध्ययन , परिनिष्ठित हिन्दी का रूपग्रामिक अध्ययन , अन्य भाषा शिक्षण , भाषा एवं भाषा विज्ञान , सूरदास एवं सूरसागर की भाव योजना , विश्वचेतना एवं सर्वधर्म सम्भाव , भगवान महावीर एवं जैन दर्शन , विश्व शान्ति एवं अहिंसा आदि
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