Publisher |
Manjul Publishing House Pvt Ltd |
Publication Year |
2024 |
ISBN-13 |
9788183226561 |
ISBN-10 |
8183226566 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
260 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
1500 |
यह पुस्तक अनिवार्य रूप से पढ़ी जनि चाहिए, क्योंकि यह उन क़ैदियों की ज़िन्दगी के अंतरंग में झाँकने का मौका देती है जो जेल की कोठरी में बैठे कई दिनों या महीनों तक किसी सार्थक मानवीय संवाद की प्रतीक्षा करते रहते हैं| रेबेका जॉन आरुषि तलवार प्रकरण की वकील लोग कहते हैं कि जेल सबको बराबरी पर ला देने वाली हो सकती है - लेकिन क्या ये बात उस स्थिति में लागू होती है जब आप किसी हिंदुस्तानी जेल में वी.आई.पी. कैदी हों? शायद नहीं| 'अगर आप 1000 रुपय चुरा लें तो हवलदार मार-मार कर आपकी हालत ख़राब कर देगा और आपको ऐसी कालकोठरी में बंद कर देगा जिसमें न बल्ब होगा न खिड़की| लेकिन अगर आप 55, 000 करोड़ रुपय कि चोरी करते हैं तो आपको 40 फ़ीट के कक्ष में रखा जाएगा जिसमें चार खंड होंगे - इंटरनेट, फ़ैक्स, मोबाइल फ़ोन और दस लोगों का स्टाफ़, जो आपके जूते साफ़ करेगा और आपका खाना पकाएगा| हिंदुस्तान के कुछ बेहद जाने-माने क़ैदियों के विस्तृत प्रत्यक्ष साक्षात्कारों पर आधारित इस पुस्तक में पुरुस्कार प्राप्त पत्रकार सुनेत्रा चौधरी जेल के वी.आई.पी. जीवन में झाँकने का एक अवसर उपलब्ध कराती हैं| पीटर मुखर्जी अपनी 4 x 4 की कोठरी में की करते हैं? दून स्कूल के 70 वर्षीया भूतपूर्व छात्र, जिन्होंने 7 साल से ज़्यादा जेल में बिताये हैं, वे किस तरह लगातार अपीलें करते हुए अपना केस लड़ने का संकल्प क़ायम रखे हुए हैं? अमर सिंह से उन दुर्भाग्यपूर्ण दिनों में कौन-कौन मिलने आया, जिसने इस बात को तय किया कि उनके भावी दोस्त और सहयोगी कौन होंगे?
Sunetra Choudhury
Manjul Publishing House Pvt Ltd