Sookhta Hua Talaab

Author:

Ramdarash Mishra

Publisher:

VANI PRAKSHAN

Rs102 Rs125 18% OFF

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Publisher

VANI PRAKSHAN

Publication Year 2011
ISBN-13

9788181432698

ISBN-10 9788181432698
Binding

Hardcover

Number of Pages 80 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 196
रामदरश मिश्र ने अपने उपन्यासों में ग्राम जीवन के आंचलिक परिवेश, ग्रामीणों के रहन-सहन, बनते-बिगड़ते संबंध आदि का अत्यंत यथार्थ चित्रण किया है । सूखता हुआ तालाब भी उसी कि एक बानगी है जिसमे पनि कि समस्या को सिरे से उठाया गया है जो किसान के लिए तो गंभीर है ही साथ ही महानगरों के लिए भी आने समय में पनि कि कमी एक भयंकर समस्या बनकर सामने आएगी। लगभग 80 पन्नों का यह उपन्यास अपने आप में पूर्ण है। जो पाठकों को अपने भविष्य पर विचार करने के लिए एक मंच देता है।

Ramdarash Mishra

रामदरश मिश्र का जन्म 15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर जिले के डुमरी गाँव में हुआ। इनके काव्य हैं - पथ के गीत, बैरंग-बेनाम चिट्ठियाँ, पक गई है धूप, कन्धे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बाजार को निकले हैं लोग, जुलूस कहाँ जा रहा है?, रामदरश मिश्र की प्रतिनिधि कविताएँ, आग कुछ नहीं बोलती, शब्द सेतु, बारिश में भीगते बच्चे, हँसी ओठ पर आँखें नम हैं (ग़ज़ल), ऐसे में जब कभी, आम के पत्ते, तू ही बता ऐ ज़िन्दगी, हवाएँ साथ हैं, कभी-कभी इन दिनों, धूप के टुकड़े, आग की हँसी। इनके उपन्यास हैं - पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफर, आकाश की छत, आदिम राग, बिना दरवाजे का मकान, दूसरा घर, थकी हुई सुबह, बीस बरस, परिवार, बचपन भास्कर का। इनके कहानी संग्रह हैं - खाली घर, एक वह, दिनचर्या, सर्पदंश, बसन्त का एक दिन, इकसठ कहानियाँ, मेरी प्रिय कहानियाँ, अपने लिए, चर्चित कहानियाँ, श्रेष्ठ आंचलिक कहानियाँ, आज का दिन भी, एक कहानी लगातार, फिर कब आएँगे?, अकेला मकान, विदूषक, दिन के साथ, मेरी कथा-यात्रा। इनके ललित निबन्ध हैं - कितने बजे हैं, बबूल और कैक्टस, घर परिवेश, छोटे-छोटे सुख। इनकी आत्मकथाएँ हैं - सहचर है समय, फुरसत के दिन। इनका यात्रावृत्त है - घर से घर तक देश यात्रा। इनकी डायरी हैं - आते-जाते दिन, आस-पास, बाहर-भीतर। 11 पुस्तकों पर समीक्षा लिखी है और 14 खंडों में इनकी रचनावली प्रकाशित हो चुकी है।
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