Charu Chanderlekh

Author:

Hazari Prasad Dwivedi

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs796 Rs995 20% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2006
ISBN-13

9788126701346

ISBN-10 812670134X
Binding

Hardcover

Number of Pages 335 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 520

चारु चन्द्रलेख चारु चन्द्रलेख आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की कलम से निकली हुई एक गहरी संवेद्य कृति है। इसमें 12वीं-13वीं सदी के भारत का व्यक्ति और समाज बहुत बारीकी से व्यक्त हुआ है। समय के उस दौर में देश के लिए विदेशी आक्रमण का प्रतिरोध एक बड़ी चुनौती का दायित्व था लेकिन देश की समूची अध्यात्मिक तथा इतर शक्तियाँपुरातन अंधविश्वास के रास्ते नष्ट हो रहीं थीं। ऐसे में समाज के पुनर्गठन का काम पूरी तरह से उपेक्षित था और नए मूल्यों के सृजन की ज़रूरत की अनदेखी हो रही थी। हजारीप्रसाद द्विवेदी का यह उपन्यास उस युग की जड़ता तोड़ने के बहाने काल निरपेक्ष रूप से देश में नए उत्साह का संचार करता है। रचना का यही बल इसे कालजयी बनाता है। एक गाम्भीर्य पूर्ण दायित्व को निभाते हुए चारू चन्द्रलेख एक बेहद रोचक वृत्तान्त भी है और इसीलिए इसकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है। आज भी इसकी ललकार को अनसुना कर पाना सम्भव नहीं है।

Hazari Prasad Dwivedi

बचपन का नाम: बैजनाथ द्विवेदी। जन्म: श्रावणशुक्ल एकादशी सम्वत् 1964 (1907 ई.)। जन्म-स्थान: आरत दुबे का छपरा, ओझवलिया, बलिया (उत्तर प्रदेश)। शिक्षा: संस्कृत महाविद्यालय, काशी में। 1929 में संस्कृत साहित्य में शास्त्री और 1930 में ज्योतिष विषय लेकर शास्त्राचार्य की उपाधि।8 नवम्बर, 1930 को हिन्दी शिक्षक के रूप में शान्तिनिकेतन में कार्यारम्भ; वहीं 1930 से 1950 तक अध्यापन; सन् 1950 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी प्राध्यापक और हिन्दी विभागाध्यक्ष; सन् 1960-67 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में हिन्दी प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष; 1967 के बाद पुनः काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में; कुछ दिनों तक रैक्टर पद पर भी।
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