Publisher |
RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD |
Publication Year |
2019 |
ISBN-13 |
9788171191703 |
ISBN-10 |
9788171191703 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
155 Pages |
Language |
(Hindi) |
Weight (grms) |
120 |
अशोक वाजपेयी हिंदी के समकालीन कवियों में उन थोड़े-से लोगों में से हैं जिन्होंने अपने समय में प्रेम की सघनता, उत्कृष्टता और महिमा को लगातार अपनी कविता के केंद्र में बनाए रखा है। एक ऐसे समय में जब रति और शृंगार के पारंपरिक सौंदर्य-मूल्य कविता के दृश्य से गायब ही हो गए हैं, अशोक वाजपेयी ने उन्हीं को अपनी कविता में सबसे अधिक जगह दी है। उनकी प्रेम कविता में जो ऐंद्रिकता है वह परंपरा को पुनराविष्कृत करती है और साथ ही उसे समकालीन आँच और लपक भी देती है। प्रेम की अनेक सूक्ष्मताएँ खड़ी बोली में इन कविताओं के माध्यम से पहली बार कविता के परिसर में प्रवेश करती हैं। प्रेम में, अशोक वाजपेयी के कविता-संसार में भरा-पूरापन है, रसिकता और प्रयास है। उसमें जीवन से भागकर कहीं और नहीं बल्कि इसी अच्छी-बुरी दुनिया में अपने लिए थोड़ी-सी जगह पाने की दुर्लभ जि़द है। कविता में प्रेम करना या कि प्रेम की कविता करना अशोक वाजपेयी की अदम्य जिजीविषा का ही प्रमाण है। यह स्पंदन और ऊष्मा की पुस्तक है : प्रेम के स्पंदन, जीवन और भाषा की ऊष्मा की पुस्तक।
Ashok Vajpayee
RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD