Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9789389577686 |
ISBN-10 |
9789389577686 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
215 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
330 |
कविता पढऩे वाले अल्पसंख्यक तो हैं, लेकिन अपार हैं। उन्हें गिनती में सीमित नहीं किया जा सकता। वे कविता से रिश्ता न रखने वाले बहुसंख्यकों से कम ज़रूर हैं, लेकिन परिमेय नहीं हैं। कविता से खुद को और खुद से कविता को बदलने वाले वे लोग लगातार हैं, लेकिन भूमिगत और चुप्पा हैं। वे इस तरह छिपे हुए, बिखरे हुए, गुमशुदा और सतह के नीचे हैं कि उनकी गिनती नहीं की जा सकती। दरअसल, इस आत्मलिप्त और सतही संसार में कविता की सक्रियताएँ एक खास तरह की अण्डरग्राउण्ड एक्टिविटी हैं। मेरी बात का यह मतलब नहीं लगाया जाना चाहिए कि हम वृहत्तर समाज में कविता के लिए कोई स्पेस या रियायत माँग रहे हैं। हम ऐसी स्थिति से क्षुब्ध ज़रूर हैं, लेकिन मुख्यधारा का हीनतर अनुषंग बन जाने के लिए कभी कोई कोहराम नहीं मचा रहे हैं। हम उस समाज के अधुनातन स्पन्दनों की, उसके उत्थान और पतन की, उसके अतीत, वर्तमान और भविष्य की मीमांसा करने वाला गद्य लिखना चाहते हैं, जिसका हम खुद बहुत छोटा हिस्सा हैं।.
Vyomesh Shukla
25 जून, 1980; वाराणसी में जन्म। यहीं बचपन और एम.ए. तक पढ़ाई। शहर के जीवन, अतीत, भूगोल और दिक़्क़तों पर एकाग्र निबन्धों और प्रतिक्रियाओं के साथ लिखने की शुरुआत। व्योमेश ने इराक़ पर हुई अमेरिकी ज़्यादतियों के बारे में मशहूर अमेरिकी पत्रकार इलियट वाइनबर्गर की किताब व्हाट आई हर्ड अबाउट ईराक़ का हिन्दी अनुवाद किया, जिसे हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिका पहल ने एक पुस्तिका के तौर पर प्रकाशित किया है। व्योमेश ने विश्व-साहित्य से नॉम चोमस्की, हार्वर्ड ज़िन, रेमंड विलियम्स, टेरी इगल्टन, एडवर्ड सईद और भारतीय वाङ्मय से महाश्वेता देवी और के. सच्चिदानंदन के लेखन का भी अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद किया है। व्योमेश शुक्ल का पहला कविता-संग्रह 2009 में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ, जिसका नाम है ‘फिर भी कुछ लोग’। कविताओं के लिए 2008 में ‘अंकुर मिश्र स्मृति पुरस्कार’ और 2009 में ‘भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार’। आलोचनात्मक लेखन के लिए 2011 में ‘रज़ा फाउंडेशन फ़ेलोशिप’ और संस्कृति-कर्म के लिए भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता का ‘जनकल्याण सम्मान’ मिला है। नाटकों के निर्देशन के लिए इन्हें संगीत नाटक अकादेमी का ‘उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ युवा पुरस्कार’ दिया गया है। व्योमेश की कविताओं के अनुवाद विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ-साथ कुछ विदेशी भाषाओं में हुए हैं। अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने अपने एक सर्वेक्षण में इन्हें देश के दस श्रेष्ठ लेखकों में शामिल किया है तो हिन्दी साप्ताहिक इंडिया टुडे ने भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक दृश्यालेख में परिवर्तन करनेवाली पैंतीस शख़्सियतों में जगह दी है। लेखन के साथ-साथ व्योमेश बनारस में रहकर रूपवाणी नामक एक रंगसमूह का संचालन करते हैं। ‘काजल लगाना भूलना’ उनका दूसरा कविता-संग्रह है।.
Vyomesh Shukla
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd