Usne Gandhi Ko Kyon Mara (Pb)

Author:

Ashok Kumar Pandey

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs297 Rs350 15% OFF

Availability: Available

    

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2020
ISBN-13

9789389598650

ISBN-10 9789389598650
Binding

Paperback

Number of Pages 280 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 240
यह किताब आज़ादी की लड़ाई में विकसित हुये अहिंसा और हिंसा के दर्शनों के बीच कशमकश की सामाजिक-राजनैतिक वजहों की तलाश करते हुए उन कारणों को सामने लाती है जो गांधी की हत्या के ज़िम्मेदार बने। साथ ही, गांधी हत्या को सही ठहराने वाले आरोपों की तह में जाकर उनकी तथ्यपरक पड़ताल करते हुए न केवल उस गहरी साज़िश के अनछुए पहलुओं का पर्दाफ़ाश करती है बल्कि उस वैचारिक षड्यंत्र को भी खोलकर रख देती है जो अंतत: गांधी हत्या का कारण बना। यह किताब जहाँ एक तरफ़ गांधी पर अफ़्रीका में हुए पहले हमले से लेकर गोडसे द्वारा उनकी हत्या के बीच गांधी के पूरे राजनैतिक जीवन में उन पक्षों पर विस्तार से बात करती है जिनकी वजह से दक्षिणपंथी ताक़तें उनके ख़िलाफ़ हुईं तो दूसरी तरफ़ उन पर हुए हर हमले और अंत में हुई हत्या की साज़िशों का पर्दाफ़ाश करती है। दस्तावेज़ों की व्यापक पड़ताल से यह उन व्यक्तियों और समूहों के साथ-साथ उन कारणों को स्पष्ट रूप से सामने लाती है जिनकी वजह से गांधी की हत्या हुई। यह किताब एक तरफ़ राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन और उसमें गांधी की भूमिका दर्ज करती है तो दूसरी तरफ़ गांधी की पूरी वैचारिक यात्रा की पड़ताल करती है। यह किताब दक्षिणपंथ के गांधी के ख़िलाफ़ होने के कारणों, कांग्रेस के भीतर के अंतर्विरोधों और विभाजन की प्रक्रिया सामने लाती है। इसके अलावा एक पूरा खंड गोडसे द्वारा अदालत में गांधी पर लगाए गए आरोपों के बिंदुवार जवाब का है। इस किताब को पढ़ते हुए हिंदी का पाठक एक ही किताब में गांधी के दर्शन, उनकी वैचारिक यात्रा और उनकी हत्या की साज़िश के राजनीतिक कारणों से परिचित हो सकेगा।.

Ashok Kumar Pandey

अशोक कुमार पांडेय कश्मीर के इतिहास और समकाल के विशेषज्ञ के रूप में सशक्त पहचान बना चुके हैं। इनका जन्म 24 जनवरी, 1975 को पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ ज़िले के सुग्गी चौरी गाँव में हुआ। ये गोरखपुर विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक हैं। कविता, कहानी और अन्य कई विधाओं में लेखन के साथ-साथ अनुवाद कार्य भी करते हैं। कथेतर विधा में इनकी पहली शोधपरक पुस्तक 'कश्मीरनामा' बहुत चर्चा में रही। इसी साल राजकमल से प्रकाशित किताब 'कश्मीर और कश्मीरी पंडित' के अब तक तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं।
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