Publisher |
LOKBHARTI PRAKASHAN |
Publication Year |
2018 |
ISBN-13 |
9789388211086 |
ISBN-10 |
9388211081 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
164 Pages |
Language |
(Hindi) |
यह पुस्तक चम्पारण सत्याग्रह में गणेश जी की भूमिका का रोचक अध्ययन है। जब एक सदी बाद चम्पारण के सत्याग्रह की चर्चा हो रही है, देश उस लड़ाई को फिर से याद कर रहा है जिसके बाद भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में किसानों की समस्याएँ एक अभिन्न हिस्सा बन गई। वह संघर्ष जिसने मोहनदास करमचन्द गांधी को महात्मा गांधी बना दिया और उन्हें करोड़ों भारतीय के दिलों में बसा दिया, उस आन्दोलन के सूत्रधार और उसके सहयोगियों की चर्चा के बिना यह संघर्षगाथा अधूरी है। यह पुस्तक दरअसल स्वाधीनता-संग्राम की समझ के प्रति समझ के धरातल का विस्तार करती है।
Ajit Pratap Singh
जन्म : 15 दिसम्बर, 1985 को बरौलिया गाँव, फतेहपुर जिला, उत्तर प्रदेश में।
शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गाँव से ही प्राप्त की। स्नातक इलाहाबाद विश्वविद्यालय, परास्नातक अर्थशास्त्र विषय से कशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से। वर्तमान में “प्राब्लम एण्ड प्रास्पेक्टस ऑफ़ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज इन इंडिया : ए केस स्टडी ऑफ़ फतेहपुर डिस्ट्रिक्ट” पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. चल रही है।
विगत कई वर्षों से अरुन्धती वशिष्ठ अनुसन्धान पीठ, इलाहाबाद से जुड़े हैं।
भारतीय कृषि, किसान कल्याण और किसान आन्दोलनों पर लिखते रहते हैं। वर्तमान समय में अवध किसान आन्दोलन के दौरान हुए मुंशीगंज गोलीकांड (7 जनवरी, 1921) और गणेशशंकर विद्यार्थी पर लेखन-कार्य जारी है।
Ajit Pratap Singh
LOKBHARTI PRAKASHAN