Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2018 |
ISBN-13 |
9789387462557 |
ISBN-10 |
9789387462557 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
392 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
620 |
शरद जोशी के व्यंग्य का क्षेत्र बहुत व्यापक और विविधवर्णी रहा है। लेखन उनकी आजीविका का भी साधन था। एक सम्पूर्ण लेखक का जीवन जीते हुए उन्होंने अपने दैनंदिन की लगभग हर घटना, हर खबर को अपने व्यंग्यकार की निगाह से ही देखा। उनके विषयों में प्रमुख यद्यपि समकालीन राजनीति और नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार ही रहा लेकिन क्षरणशील समाज की भी ज्यादातर नैतिक दुविधाओं को उन्होंने अपना विषय बनाया।
Sharad Joshi
21 मई, 1931 को उज्जैन, मध्य प्रदेश में जन्मे शरद जोशी, होल्कर कॉलेज, इन्दौर के दिनों में ही एक लेखक के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुके थे। इन्दौर के 'नई दुनिया’ अखबार में 'परिक्रमा’ कॉलम से उनकी प्रसिद्धि और लेखक के रूप में पहचान बनी। पहली पुस्तक 'परिक्रमा’ (उन्हीं लेखों का समावेश) 1958 में छपी।
उनके दो व्यंग्य नाटक 'अन्धों का हाथी’ और 'एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ’ आज भी देश-विदेश में मंचित हो रहे हैं।
अन्तिम कॉलम 'प्रतिदिन’ नवभारत टाइम्स में लगातार 7 वर्षों तक छपा।
Sharad Joshi
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