| Publisher |
HIND YUGM |
| Publication Year |
2025 |
| ISBN-13 |
9788119555956 |
| ISBN-10 |
8119555953 |
| Binding |
Paperback |
| Edition |
1st |
| Number of Pages |
348 Pages |
| Language |
(Hindi) |
गोंडवाना में ग्लेशियरों द्वारा निर्मित चट्टानों और उनमें पाए जाने वाले ऐसे जीवाश्मों की उपस्थिति, जो उत्तरी यूरोप और अमेरिका के ग्लेशियरों से जुड़ते हैं, वैज्ञानिकों की विशेष दिलचस्पी का विषय है।
यह किताब गोंडवाना के गोंड इतिहास, संस्कृति और संघर्ष की पड़ताल करती है, जिसे मुख्यधारा के इतिहास ने अक्सर अनदेखा किया है। लेखक सुभाष चन्द्र कुशवाहा ने तमाम मूल दस्तावेज़ों के सहारे गोंड समाज, सत्ता और संघर्षों के भीतर झाँकने का एक दुर्लभ प्रयास किया है। यहाँ गोंड आदिवासी संघर्षों को रेखांकित करते हुए मूलवासियों के प्रतिरोध और अस्मिता की लड़ाइयों को दर्ज किया गया है।
यह पुस्तक केवल इतिहास नहीं, बल्कि विभिन्न सत्ताओं से टकराते एक संघर्षशील समाज की जीवंत यात्रा है — शिकार से शासन तक, लोककथाओं से राजनीतिक चेतना तक।
लेखक ने औपनिवेशिक दृष्टि और आधुनिक विकासवाद—दोनों के बीच गोंडों की बदलती स्थिति का गहन विश्लेषण किया है। यहाँ पहली बार गोंड राजा सुलेमान शाह, गोंड रानियों की याचिकाओं, बैतूल के विष्णु गोंड और उनके परिवार सहित अनेक रणबांकुरों के बारे में विस्तार से जानकारी प्रस्तुत की गई है।
यह पुस्तक इतिहास, समाजशास्त्र और राजनीति में रुचि रखने वाले हर पाठक के लिए पठनीय है, जहाँ केवल गोंडों की कथा ही नहीं, बल्कि भारत की अनकही सभ्यता का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ भी संजोया गया है।
Subhash Chandra Kushwaha
जन्म : 26 अप्रैल, 1961 को ग्राम जोगिया जनूबी पट्टी, फाजिलनगर, कुशीनगर, (उत्तर प्रदेश)में। शिक्षा : स्नातकोत्तर (विज्ञान) सांख्यिकी। प्रकाशित पुस्तकें : ‘आशा’, ‘कैद में है जि़न्दगी’, ‘गाँव हुए बेगाने अब’ (कविता); ‘हाकिम सराय का आखिरी आदमी’, ‘बूचड़खाना’, ‘होशियारी खटक रही है’, ‘लाला हरपाल के जूते और अन्य कहानियाँ’ (कहानी); ‘चौरी चौरा : विद्रोह और स्वाधीनता आन्दोलन’ (इतिहास); ‘कथा में गाँव’, ‘जातिदंश की कहानियाँ’, ‘कथादेश’ साहित्यिक पत्रिका का किसान विशेषांक—‘किसान जीवन का यथार्थ : एक फोकस’ तथा ‘लोकरंग वार्षिकी’ का 1998 से निरन्तर सम्पादन। सम्मान : ‘सृजन सम्मान’, ‘प्रेमचंद स्मृति कथा सम्मान’, ‘आचार्य निरंजननाथ सम्मान’ आदि।
Subhash Chandra Kushwaha
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