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Publisher | VANI PRAKSHAN |
Publication Year | 2020 |
ISBN-13 | 9789389563887 |
ISBN-10 | 9389563887 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 80 Pages |
Language | (Hindi) |
साहित्य के किसी भी वाद या नारेबाज़ी से मेरा सम्पर्क नहीं है, न ही मैं साहित्य के प्रति प्रतिबद्ध हूँ। कविता मेरी ज़रूरत है, एक रिलीज़, मेरे व्यक्तित्व की एक अभिव्यक्ति। इसके प्रकाशन के पीछे मेरी केवल एक यही इच्छा है कि मैं उन सबके साथ जो मेरी ही तरह साधारण हैं, कुछ अपनी बातें कर सकूँ। मैं किसी भी पीढ़ी से सम्बन्धित नहीं। एक व्यक्ति की हैसियत से, उसकी अपनी भावनात्मक ज़रूरतों के हिसाब से लिखी गयी ये कविताएँ, उन सबके लिए हैं जो एक तरह से असाहित्यिक हैं, जो साहित्य की दुनिया में भय से कदम नहीं रखते, पर जो जीवन के प्रति कवि-दृष्टि रखते हैं और कविता से कभी-कभी संवाद भी कर लेते हैं। वैसे ही साधारण और असाहित्यिक लोग मेरे साथ रहे हैं, उसी खेमे को ये कविताएँ समर्पित हैं
Prabha Khetan
VANI PRAKSHAN