Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2018 |
ISBN-13 |
9789387462656 |
ISBN-10 |
9789387462656 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
104 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
Weight (grms) |
320 |
प्रेम भारद्वाज का कहानीकार मूलत: काव्यात्मक संवेदना से समृद्ध है। वे कहानी को न दूर बैठकर देखते हैं और न फासला रखकर सुनाते हैं। महसूस करते हुए वे अपने समूचे वजूद के साथ उसमें डूब जाते हैं, और जब अपने कथ्य को लेकर पाठक के सामने उपस्थित होते हैं तो जैसे अपने पात्रों की पीड़ा को आपादमस्तक ओढक़र स्वयं को ही प्रस्तुत करते हैं।
Prem Bhardwaj
5 अगस्त, 1965 को बिहार के जिला छपरा, गाँव विक्रम कैतुका में जन्मे प्रेम भारद्वाज साहित्यिक मासिक पत्रिका ‘पाखी’ के सम्पादक होने के साथ सशक्त कहानीकार भी हैं।
प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा गाँव में ही हुई। पिता फौजी होने के कारण छठी कक्षा के बाद की पढ़ाई देश के विभिन्न शहरों—दार्जिलिंग, दिल्ली, इलाहाबाद, चंडीगढ़, पटना आदि—में हुई। पटना विश्वविद्यालय से इन्होंने हिन्दी में एम.ए. किया। पिता की असहमति के बावजूद साहित्य को ही जीवन का ध्येय बना लिया। पिछले दो दशकों की पत्रकारिता के दौरान कई पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे। पटना में पत्रकारिता का आगाज करने के बाद पिछले 16 वर्षों से राजधानी दिल्ली में सत्ता के स्वभाव और संरचना को समझने और बची हुई संवेदना को छूने की जद्दोजहद जारी है।
Prem Bhardwaj
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd