Hariyal Ki Lakdi

Author :

Ramnath Shivendra

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs521 Rs695 25% OFF

Availability: Available

Shipping-Time: Usually Ships 1-3 Days

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2006
ISBN-13

9788126711345

ISBN-10 8126711345
Binding

Hardcover

Number of Pages 223 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14 X 2
इक्कीसवीं सदी के जगमग विकास के दौर की यह विडम्बना ही है कि जहाँ वैश्विक धरातल पर अमरीकी दादागीरी सर चढ़कर बोल रही है, वहीं भारतीय समाज की तलछट में रह रहे लोगों की ज़िन्दगी भ्रष्ट नौकरशाही और सरकारी प्रपंचों में फँसकर और भी दूभर होती जा रही है। ‘हरियल की लकड़ी’ तलछट में रह रहे ऐसे ही लोगों की कहानियाँ बयान करती हैं। उपन्यास की मुख्य पात्र बसमतिया जीवट और दृढ़ चरित्र की स्त्री है जिसका पति उसे छोड़कर कहीं चला गया और लौटकर नहीं आया। फिर भी ससुराल में वह उसका इन्तज़ार करती अपनी बूढ़ी सासू की देखभाल और मेहनत-मज़दूरी करती है। माता-पिता की समझदार सन्तान होने के कारण उसे पिता के सहयोग के लिए बार-बार मायके आना पड़ता है। सामाजिक जीवन की विभिन्न छवियों, विद्रूपताओं, विडम्बनाओं को बारीकी से रेखांकित करनेवाली यह कृति प्रेम-घृणा, सुख-दु:ख, वासना और भ्रष्टाचार की अविकल कथा को प्रवहमान भाषा और शिल्प में प्रस्तुत करती है। गाँव के उच्चवर्ग के लोगों व सरकारी भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ संघर्ष करती बसमतिया जीवन की बीहड़ अनुभवों से गुज़रती है लेकिन झुकना या हार मानना उसने नहीं सीखा। इस क्रम में उसे कई लोगों से सहयोग भी मिलता है और ताने-उलाहने भी सुनने पड़ते हैं। क्या बसमतिया को न्याय मिला? क्या उसका पति लौटा? गाँव के विकास के लिए उसके संघर्ष का क्या हुआ?—इन सवालों की जिज्ञासाओं को लेखक ने उपन्यास में बेहद दिलचस्प विन्यास में प्रस्तुत किया है। एक महत्‍त्‍वपूर्ण एवं संग्रहणीय कृति।

Ramnath Shivendra

जन्म : ग्राम—खड़घई, पो.—पन्नूगंज, सोनभद्र (उ.प्र.)। शिक्षा : एम.ए.एस. (समाज कार्य), एल.एल.बी.। कार्य : एक साल तक कल्याण अधिकारी की नौकरी, आठ साल तक वकालत। प्रमुख कृतियाँ : ‘सहपुरवा’, ‘हरियल की लकड़ी’, ‘तीसरा रास्‍ता’, ‘दूसरी आज़ादी’, ‘अन्‍तर्गाथा’, ‘धरती कथा’ (उपन्यास); ‘पनसाल’, ‘डफली बजाए जा’, ‘दूसरी परम्‍परा’ (कहानी-संग्रह); ‘कथा का समाजशास्‍त्र’ (कथा-आलोचना); ‘सोनभद्र प्राचीन’, ‘समय, समाज और हस्‍तक्षेप’ (इतिहास); ‘समय और सपने’ (निबन्‍ध-संग्रह); ‘सोनभद्र का भूमि प्रबन्धन’ (प्रबन्धन) आदि। सम्‍प्रति : कृषि-कार्य एवं ‘असुविधा’ त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन।
No Review Found
More from Author