Publisher |
V & S Publishers |
Publication Year |
2012 |
ISBN-13 |
9789381448175 |
ISBN-10 |
9789381448175 |
Binding |
Paperback |
Edition |
First |
Number of Pages |
91 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
21.5X9X0.6 |
Weight (grms) |
66 |
इस संकलन में अनजान की ग़ज़लें संकलित हैं। इन ग़ज़लों में, अनजान ने अपनी भावनाओं, विचारों, संवेदनाओं और शाश्वत सत्य को अपनी शैली में व्यक्त किया है। जानता है गरीब हैं, प्यारे हैं मैं कसम खाता हूं कि मैं गरीब था। क्या वर्तमान में सूर्य, चंद्रमा, तारे हैं, समय के ये गुलाम सभी हैं। एक बार फिर क्या कहा, हम किसी और के नहीं, आपके हैं। कोई भी दुखी नहीं हुआ, मीट हजारों खुशियां हैं।
Naresh Kumar Anjan
नरेश कुमार अनजान का जन्म १ जून १९४० को बहावलपुर (अब पाकिस्तान) में हुआ। १९६१ में इन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय से बी ए और फिर पंजाब विश्वविद्यालय से बी एड किया। तुम मानव हो इनकी एक महत्वपूर्ण रचना हैं।
Naresh Kumar Anjan
V & S Publishers