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Publisher | Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year | 2023 |
ISBN-13 | 9788119835782 |
ISBN-10 | 8119835786 |
Binding | Hardcover |
Number of Pages | 136 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 22 X 14 X 1.5 |
Weight (grms) | 266 |
दोनों आसमानों के रंग में संकलित कहानियाँ हैं—परायी धरती पर मुरझाते रिश्तों की, और स्त्री-विरोधी परम्पराओं में जकड़ी अपनी ज़मीन पर मुरझाने पर मजबूर कर दी गईं उम्मीदों की। ज़किया जुबैरी प्रवासी हिन्दी कथाकार हैं। इन कहानियों में उन्होंने एक तरफ लंदन और दूसरी तरफ भारत-पाकिस्तान की ज़मीन से अपने कथानक उठाए हैं। लंदन या कह सकते हैं, यूरोप-अमेरिका के समृद्ध देशों में भारतीय उपमहाद्वीप के कितने ही लोग कभी सपनों और कभी मजबूरियों के हाथों बेबस हो बसने और कमाने-खाने जाते हैं। इसके लिए जो संघर्ष अपेक्षित है, वह करते, वे जो चाहते हैं, हासिल भी कर लेते हैं, लेकिन फिर भी कुछ होता है जो उनसे खो जाता है—रिश्ते, रिश्तों की गरमाहट और अपने आपको अपनों के भरोसे छोड़ निश्चिन्त हो जाने का भारतीय दुस्साहस। वह वहाँ उन्हें नहीं मिल पाता। ज़किया ज़ुबैरी अपने सुदीर्घ प्रवासी अनुभवों के आधार पर इन परिस्थितियों को एक स्त्री की निगाह से देखती हैं। बाकी जिन कहानियों की पृष्ठभूमि भारतीय उपमहाद्वीप हैं उनमें पाकिस्तान से ली गईं दो कहानियाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं—‘दोनों आसमानों के रंग’ जिसमें भारत के प्रति घृणा को आधार बनाकर एक दिलचस्प कथानक बुना गया है, और दूसरी ‘दस्तक’ जिसमें पाकिस्तान के कुछ पिछड़े हिस्सों में आज भी प्रचलित ‘वानी’ की प्रथा के हवाले से एक रोंगटे खड़े करनेवाला घटनाक्रम हमारे सामने आता है।
Zakia Zubairi
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd