Shanti Parv

Author :

Ashish Tripathi

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2024
ISBN-13

9789360866280

ISBN-10 9360866288
Binding

Paperback

Number of Pages 168 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 X 13 X 1

आशीष त्रिपाठी की कविताएँ हमारे समय की कई आन्तरिक परतों को भेदते और उधेड़ते हुए, उसके अन्तर्विरोधों और विडम्बनाओं से होकर अपने समय का वास्तविक चेहरा तलाश करने की कोशिश करती हैं। संग्रह में शामिल कविता ‘काला सूर्य’ में कवि देख पाता है कि इस समय जब उजाले की वह भाषा, जिसकी संधि में करोड़ों लोगों की निर्मलता समाई हुई थी, उस पर कालिमा के शब्द और वाक्य छाते जा रहे हैं। उस भाषा में प्रश्न करने के अधिकार और असहमति को बेदख़ल कर दिया गया है। उजले सूर्य आकाशगंगा से और उजली ऋचाएँ भाषा से बाहर फेंक दी गई हैं। धीरे-धीरे सब कुछ गिर रहा है। यह सिर्फ़ भाषा का संकट नहीं है। भाषा की नब्ज़ में समाज के शरीर की सारी व्याधियों का हालचाल छिपा है। कवि इस नब्ज़ पर अपनी उँगलियाँ रखकर, हमें हमारे आसपास घटित प्रकट-अप्रकट को दिखाने का उपक्रम करता है। ‘काला सूर्य’ विराट कास्मिक बिम्ब की अनुगूँजों से भरी कविता है।


आशीष की कविता की भाषा का तापमान अक्सर बहुत संयत बना रहता है। भावों की रास कवि के हाथ से कभी छूटती नहीं। उसका आलोचकीय विवेक हमेशा जागृत रहता है। उसकी विविधता उसके विषयों और दृश्यों में प्रकट होती है। वह बहुत महीन आब्ज़र्वेशन से प्रकट के भीतर छिपे अप्रकट को  विचक्षणता से दिखा देते हैं। आशीष की कविता को पढ़ते हुए जितना उसे सुना जा सकता है, उतना ही उसे देखा भी जा सकता है। वह जितनी शब्द में है उतनी ही दृश्य में भी है। 


कहना न होगा कि आशीष की कविता में एक क़िस्म का नाटक उसके अन्तरतल में लगातार बना रहता है। नाटक उसकी कविता की सरंचना में विन्यस्त है। ‘तुम्हारा अभिनय’, ‘गहनों की दुकान’, ‘मुखौटा’ आदि कई कविताएँ इसकी गवाही देती हैं। जीवन में जटिलताएँ बढ़ रही हैं और वो व्यक्ति के व्यवहार को भी पहले के बनिस्बत अधिक जटिल बना रही हैं। आशीष की कविता इन जटिलताओं को उकेरते हुए भी अपनी बनक में सहज बनी रहती है।


आशीष की कविताएँ एक ऐसा गीत भी हैं जिसमें ‘बातों की कुल्हाड़ी से समय के पहाड़ के कटते जाने’ और ‘पनछुछही और ठंडी चाय की सबसे अच्छी चुस्कियाँ’ भी हैं।


—राजेश जोशी

Ashish Tripathi

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