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Publisher | Penguin Swadesh |
Publication Year | 2024 |
ISBN-13 | 9780143447658 |
ISBN-10 | 0143447653 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 592 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 22 X 14 X 1.8 |
Weight (grms) | 504 |
‘गुहा, गांधी को उनके वास्तविक रुप में प्रस्तुत और उनके सुभी विरोधाभासों को प्रकट होने देते हैं’ ― न्यूयॉर्क टाइम्सगांधी का जीवन बीसवीं सदी के महानतम व्यक्तित्वों में से एक है। उन्होंने दुनियाभार में करोड़ों लोगों को प्रेरित किया, असंख्य लोग उनसे नाराज़ भी हुए और उनके चिंतन और कार्यक्षेत्र में उन्हें चुनौती दी। उनका पूरा जीवन ब्रिटिश राज के साये में बीता, लेकिन उस साम्राज्य को झुकाने में गांधी का योगदान सर्वोपरि रहा। फासीवादी और कम्युनिस्ट तानाशाहों की हिंसा से भरी उस दुनिया में गांधी के पास सिवाय तर्कों और उदाहरणों के कुछ नहीं था। उन्होंने जातीय और लैंगिक भेदभाव से भी युद्ध किया और धार्मिक सद्भाव के लिए संघर्ष करते हुए अपनी जान तक दे दी।यह शानदार किताब गांधी के जीवन के उस कालखंड का वर्णन है जब वे गोलमेज़ सम्मेलन से लौटकर वापस भारत आए और एक बार फिर से स्वतंत्रता संग्राम की योजना में जुट गए। पुस्तक का यह खंड अस्पृश्यता के विरुद्ध उनकी लड़ाई, वर्धा आश्रम की स्थापना, सुभाष चंद्र बोस के साथ उनके मतभेद, भारत छोड़ो आंदोलन, देश की स्वतंत्रता और 1948 में उनकी हत्या तक के कालखंड को समेटता है। इस पुस्तक में जिन्ना और आम्बेडकर के साथ उनके संवादों से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन के ऐसे कई आख्यान शामिल हैं जो गांधी के व्यक्तित्व का परिचय हमसे उनके समकालीनों की दृष्टि से करवाते हैं। दुनिया के सामने अभी तक अप्रकाशित रहे स्रोतों और लेखन की शानदार किस्सागोई और राजनितिक समझ इस पुस्तक को राष्टृपिता पर अभी तक लिखी गई पुस्तकों में सर्वाधिक महत्त्वाकांक्षी बनाकर प्रस्तुत करती है।
Ramchandra Guha
Penguin Swadesh