Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2020 |
ISBN-13 |
9789389598001 |
ISBN-10 |
9789389598001 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
152 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
22 x 14 x 1 |
Weight (grms) |
280 |
बहुत से लोग हैं जो अपने आपको लफ़्ज़ देने के लिए शा'इरी इख़्तियार करते हैं मगर कुछ ख़ुशक़िस्मत ऐसे भी हैं जिन्हें ख़ुद शा'इरी अपने आपको ज़ाहिर करने के लिए चुनती है। अभिषेक उन्हीं चन्द ख़ुशक़िस्मतों में शामिल हैं जिन्हें शा'इरी ने इस ज़माने में अपना तर्जुमान मुक़र्रर किया है। ख़ामोशी अभिषेक की शा'इरी की जन्मभूमि है। उसके पास से ख़ामोशी की ख़ुशबू और आँच आती है कि उसके अन्दर तज्रबों का एक आतिशख़ाना है जो एक बाग़ की तरह खिला हुआ है। ख़ामोशी उसका चाक भी है जिस पर वो लफ़्ज़ों की कच्ची मिट्टी से मा'नी की शक्लें बनाता है। अभिषेक ने ये मिट्टी अपनी ज़ात और ज़माने के जिस्म और रूह के तज्रबों को गूँधकर तैयार की है। ये मिट्टी उसकी अपनी है और उससे बनाई जानेवाली सूरतें भी।
Abhishek Shukla
Dr. Abhishek Shukla, Ph,D. is a Subject Matter Specialist (Plant Protection) and is working in Krishi Vigyan Kendra, Chomu, Jaipur, Rajasthan. He has more than seven years of experience in research and extension. He has more than 30 research papers and several popular articles to his credit.
Abhishek Shukla
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