Jaan Di Jaye Ya Chay Ho Jaye

Author:

Damodar Mauzo

Publisher:

VANI PRAKSHAN

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Publisher

VANI PRAKSHAN

Publication Year 2025
ISBN-13

9789369442232

ISBN-10 9369442235
Binding

Paperback

Number of Pages 304 Pages
Language (Hindi)
Weight (grms) 300

‘ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित कोंकणी लेखक दामोदर मावज़ो का ‘जान दी जाये या चाय हो जाये...’ उपन्यास असहिष्णु समय में प्रेम और मानवीयता के सार्वभौमिक मूल्यों की पैरवी करते हुए सामयिक यथार्थ की विविध परतों को बड़ी बारीकी तथा संवेदनशीलता के साथ खोलता है। संश्लिष्टताओं से भरे जीवन में क़दम क़दम पर मनुष्य को सही चुनाव के तनाव से गुज़रना पड़ता है। यह चुनाव ही आपके जीवन की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाता है। विपिन पोरोब भी ऐसे कई पलों से गुज़रता है। बन्द दरवाज़ें, बन्द खिड़कियों वाले घर में पले-बढ़े विपिन पोरोब के आत्मान्वेषण की यात्रा को यह उपन्यास बड़े प्रभावी ढंग से हमारे समक्ष प्रस्तुत करता है। संकीर्ण व्यवस्था की जकड़ में फँसे अपने विद्यार्थी के हुनर को पहचान कर मार्टिन सर स्कूल में पढ़ते समय उसे किताबों की विलक्षण दुनिया से परिचित कराते हैं। बिना किसी दोस्त के बड़े हुए विपिन की सच्ची दोस्त यही किताबें बनती हैं। युवा विपिन के जीवन में चित्रा और फ़ातिमा स्नेह का स्रोत बनकर प्रवाहित होती हैं। लेकिन स्नेहहीन परिवार में पला-बढ़ा, बचपन से अकेलेपन को अपना साथी बना चुका विपिन क्या प्रेम की डोर को अपने हाथ में थाम लेता है? अपने भीतर की तमाम कमियों एवं सम्भावनाओं को पहचानकर क्या वह जीवन की चुनौतियों से भिड़ जाने का आत्मविश्वास अपने भीतर पैदा कर पाता है?

Damodar Mauzo

दामोदर मावज़ो,समकालीन कोंकणी साहित्य-जगत के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर दामोदर मावज़ो का जन्म,1 अगस्त, 1944 को दक्षिण गोवा के मजोरडा में एक तटीय गाँव में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा मराठी और पुर्तगाली भाषा में हुई। बॉम्बे विश्वविद्यालय (अब मुम्बई) से उन्होंने बी.कॉम. की पढ़ाई की।अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सहिष्णुता तथा मानवीय मूल्यों के प्रखर समर्थक दामोदर मावज़ो ने कहानी, उपन्यास, निबन्ध, आलोचना, पटकथा-लेखन जैसी विविध विधाओं में लेखन किया है। कोंकणी में उनकी क़रीब पचीस किताबें तथा अंग्रेज़ी में एक किताब प्रकाशित हो चुकी है। उन्होंने कई किताबों का सम्पादन और अनुवाद भी किया है। उनकी पाँच किताबें अंग्रेज़ी में अनूदित हो चुकी हैं। कुछ किताबों का मराठी में भी अनुवाद हुआ है।सम्मान: कार्मेलीन उपन्यास के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ (1983), सुनामी सायमन उपन्यास के लिए विश्व कोंकणी केन्द्र का ‘श्रीमती वी.वी.पाई पुरस्कार’, ‘गोवा राज्य सांस्कृतिक पुरस्कार’ और 57वें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ (2022) से सम्मानित। टेरेसाज़ मैन एंड अदर स्टोरीज़ फ्रॉम गोवा को 2015 में ‘फ़्रैंक ओ कॉनर अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार’ के लिए नामांकित किया गया था।सम्पर्क: dymauzo@gmail.com
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