अल्पना मिश्र की कथा-क्षमता विवरण-बहुलता में वास्तविकता के और-और करीब जाने की कोशिश में दिखाई देती है, जिसमें वे एक कुशल शिल्पी की तरह सफल होती हैं। उनकी कहानियों में कहीं भी शाब्दिक चमत्कार से कथ्य अथवा दृष्टि के अभाव को पूरा करने की न मजबूरी दिखाई देती है, न चालू मुहावरे का कोई ऐसा दबाव कि वे जीवन-स्थितियों के सच से अपनी पकड़ को जरा भी ढीली करें। नब्बे के दशक में सामने आए कथाकारों में उन्होंने अपनी एक विशिष्ट जगह बनाई है और लगातार चर्चा में रही हैं। अपने इर्द-गिर्द के संसार में पूरे भरोसे और स्पष्ट आलोचनात्मकता के साथ उतरकर गझिन और कथा-तत्व से भरपूर कहानियाँ बुनना उन्होंने जिस तरह सिद्ध किया है, वह भाषा को एक भरोसा देता है। इस संग्रह में शामिल 'स्याही में सुर्खाब के पंख', 'कत्थई नीली धारियों वाली कमीज', 'चीन्हा-अनचीन्हा', 'सुनयना! तेरे नैन बड़े बेचैन', 'राग-विराग', 'इन दिनों' और 'नीड़' कहानियाँ यहाँ पुन: उनके सामथ्र्य की साक्षी के रूप में मौजूद हैं। इन कहानियों को पढ़ते हुए पाठक को वापस यह विश्वास होगा कि बिना किसी आलंकारिकता के जीवन-यथार्थ को विश्वसनीय ढंग से पकडऩा आज के उथले समय में भी संभव है।
Alpana Mishra
जन्म: 18 मई, 1969 शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), पी-एच.डी. (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी)। प्रकाशित रचनाएँ: भीतर का वक्त, छावनी में बेघर, कब्र भी कैद औ' जंजीरें भी (कहानी); अन्हियारे तलछट में चमका (उपन्यास); कहानियाँ रिश्तों की: सहोदर (सम्पादन)। कहानियाँ, कविताएँ, समीक्षाएँ एवं लेख अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। कुछ कहानियाँ पंजाबी, बांग्ला, कन्नड़, अंग्रेजी, मलयालम, जापानी, रूसी आदि भाषाओं में अनूदित। कुनूर विश्वविद्यालय, केरल; केरल विश्वविद्यालय, केरल; इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद; हिन्दी विद्यापीठ, त्रिवेन्द्रम; अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद आदि देश के अनेक विश्वविद्यालयों में बी.ए. तथा एम.ए. के पाठ्यक्रम में कहानियाँ शामिल। सम्मान: शैलेश मटियानी स्मृति कथा सम्मान, परिवेश सम्मान, राष्ट्रीय रचनाकार सम्मान, शक्ति सम्मान, प्रेमचन्द स्मृति कथा सम्मान तथा भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता द्वारा सम्मानित।
Alpana Mishra
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