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Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
Publication Year | 2015 |
ISBN-13 | 9789383111572 |
ISBN-10 | 9383111577 |
Binding | Hardcover |
Number of Pages | 168 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 21.59X13.97X1.27 |
Weight (grms) | 200 |
शैतान का दावा है कि उसका रास्ता ही सर्वोपरि कल्याणकारी है। उसका कहना है कि जो जितना ही ईश्वर-भक्त है (सत्य, ज्ञान, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने वाला), वह उतना ही दुखी, पीडि़त, त्रस्त और दरिद्र है; लेकिन जो जितना ही उसके रास्ते पर चलनेवाला है, वह उतना ही सुखी और समृद्ध! और अब, जबकि हर व्यक्ति सुख-समृद्धि के लिए पगलाया घूम रहा है, क्या हमें शैतान की राह पर ही चलना होगा?सुप्रसिद्ध लेखक-चित्रकार आबिद सुरती की यह बहुचर्चित व्यंग्य कृति, जिसे उसने शैतान की रचना कहा है, बहुत ही अनूठे तरीके से हमारी आज की दुनिया पर शैतानी गिरफ्त का प्रमाण पेश करती है। इससे गुजरते हुए हम न सिर्फ मानव-सभ्यता के पुराकालीन जीवनादर्शों के छद्म को उजागर होता हुआ देखते हैं, बल्कि अपने नग्न और मूल्यहीन वर्तमान को भी आश्चर्यकारक ढंग से पहचान जाते हैं। वस्तुत : यह किताब काली ही इसलिए है कि इसका हर पन्ना हमारी परंपरागत दृष्टि को अपनी उज्ज्वल चमक से चौंधियाने की ताकत रखता है। (प्रथम संस्करण से)
Aabid Surti
Prabhat Prakashan Pvt Ltd