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Publisher | Vani Prakashan |
Publication Year | 2023 |
ISBN-13 | 9789357753951 |
ISBN-10 | 9357753958 |
Binding | Hardcover |
Number of Pages | 152 Pages |
Language | (English) |
Dimensions (Cms) | 22X 14 X 1.5 |
Weight (grms) | 300 |
"कनुप्रिया धर्मवीर भारती की महत्त्वपूर्ण कृति है । इसमें राधा की नज़र से कृष्ण को देखा गया है। यह राधा-चरित्र के विकास की एक नयी मंज़िल है और इसके भावी विकास की नयी सम्भावनाएँ भी। राधा यहाँ वियोग की परम्परागत मनोभूमि से अलग हटकर कृष्ण से कुछ मार्मिक प्रश्न करती है। इन मार्मिक प्रश्नों के माध्यम से भारती जी ने बड़े ही कौशल से परम्परागत राधा को आधुनिक स्त्री में परिवर्तित कर दिया है। राधा सिर्फ़ कृष्ण के अतीत की अन्तरंग केलिसखी बनकर नहीं रह जाना चाहती बल्कि वह उनके वर्तमान में भी सहयोगी भूमिका निभाना चाहती है। कनुप्रिया अन्धा युग की तरह सिर्फ़ युद्ध की सारहीनता को ही नहीं सामने लाती, बल्कि स्त्री-पुरुष सम्बन्ध के नये आयाम को भी उद्घाटित करती है। यह अन्धा युग से आगे की रचना है। इसमें युद्ध के समानान्तर प्रेम का 'कंट्रास्ट' रचा गया है। प्रेम और 'युद्ध के रचनात्मक तनाव से निर्मित कनुप्रिया का अभिव्यक्ति विधान तो सरल है, पर भाववोध जटिल है।
Dinesh Kumar
Vani Prakashan