Kharidi Kaudiyon Ke Mol : Vols. 1-2

Author :

Bimal Mitra

Publisher:

LOKBHARTI PRAKASHAN

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Publisher

LOKBHARTI PRAKASHAN

Publication Year 1986
ISBN-13

9788119133826

ISBN-10 811913382X
Binding

Paperback

Number of Pages 1336 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 22 X 14.5 X 6.5

‘ख़रीदी कौड़ियों के मोल’ बांग्ला का वृहत्तम और अन्यतम उपन्यास है। दीपंकर इस उपन्यास का नायक है : राष्ट्रीय और सामाजिक बवंडर में फँसी मानवता और युग-यंत्रणा का प्रतिनिधि। उसके अघोर नाना ने कहा था कि कौड़ियों से सब कुछ ख़रीदा जा सकता है। नाना के कथन का सबूत मिस्टर घोषाल, मिस्टर पालित, नयनरंजिनी, छिटे, फोटा, लक्ष्मी दी आदि ने देना चाहा, परन्तु दीपंकर का आदर्शबोध उनके मतवाद से टकराकर रह गया। दीपंकर के जीवन ने प्रमाण दिया कि पैसे से सुख नहीं ख़रीदा जा सकता। फिर भी दीपंकर का जीवन ऊपर से देखने में सुखी नहीं है। मामूली क्लर्क से वह रेलवे का बहुत बड़ा ऑफ़िसर बना, लेकिन अन्त तक उसे जीवन के जुलूस से कटकर अज्ञातवास है। इस ट्रेजेडी का कारण है कलयुग। इस युग में रामराज्य की स्थापना असम्भव है, और रावणराज्य की स्थापना स्वाभाविक। इसीलिए इस उपन्यास का रावण, मिस्टर घोषाल, जेल से निकलकर और अधिक शक्तिशाली बन गया और आवारा फोटा खद्दर ओढ़कर कांग्रेस का बड़ा नेता फटिक बाबू। सती मानवी आकांक्षा की मूर्ति है तो उसका पति सनातन बाबू सच्चाई और आदर्श का प्रतीक। परन्तु आज सच्चाई अपंग और आदर्श नपुंसक है। इसलिए सती का सर्वनाश होकर रहा। सीता का सर्वनाश वाल्मीकि नहीं टाल सके तो सती का सर्वनाश बिमल बाबू कैसे रोक पाते! बांग्ला का यह महान् उपन्यास हर हिन्दी पाठक के लिए पठनीय है। इसके अनुवाद की विशेषता यह है कि मूल को अविकल रखा गया है और बांग्ला उपन्यासों के हिन्दी रूपान्तर में प्राय: जो अर्थ का अनर्थ होता है, उससे यह सर्वथा मुक्त है।

Bimal Mitra

बंगला के सुपरिचित कथाकार। जन्म: 18 मार्च 1912 को कलकत्ता में। शिक्षा: कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.ए.। व्यवसाय: मुख्यतः लेखन। अब तक अनेक कहानियाँ और उपन्यास लिख चुके हैं। बंगलाभाषी समाज के अलावा हिंदी व तमिल समाज में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं। उल्लेखनीय कृतियाँ: उपन्यास: अन्यरूप, साहब बीबी गुलाम, मैं राजाबदल, परस्त्री, इकाई दहाई सैकड़ा, खरीदी कौड़ियों के मोल, मुजरिम हाजिर, पति परम गुरु, बेगम मेरी विश्वास, चलो कलकत्ता आदि। कुल लगभग 70 उपन्यासों की रचना। कहानी-संगह: पुतुल दीदी, रानी साहिबा। रेखा-चित्र: कन्यापक्ष। निधन: 2 दिसम्बर, 1991
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