Availability: Available
Shipping-Time: Usually Ships 1-3 Days
0.0 / 5
Publisher | Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year | 2015 |
ISBN-13 | 9789352210206 |
ISBN-10 | 9352210204 |
Binding | Paperback |
Edition | 1st |
Number of Pages | 112 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 22X14.5X1 |
Weight (grms) | 140 |
कहानी-लेखन में अपनी विशिष्ट पहचान के साथ कमलेश्वर ने अपने छोटे कलेवर के उपन्यासों में मध्यवर्गीय जीवन के चित्रण को लेकर छठे-सातवें दशक के हिन्दी परिदृश्य में अपना अलग स्थान बनाया। देश-दुनिया, समाज-संस्कृति और राजनीति से जुड़े विषय भी अक्सर उनकी कथा-रचनाओं के विषय बने हैं। ‘काली आँधी’ और ‘कितने पाकिस्तान’ जैसी रचनाओं के लिए विशेष रूप से ख्यात कमलेश्वर की लेखनी मध्यवर्गीय जीवन की विडम्बनाओं पर ही ठहरती है। वर्ष 1961 में प्रकाशित इस उपन्यास ‘लौटे हुए मुसाफिर’ में स्वतंत्रता के आगमन के साथ गम्भीर रूप धारण करती साम्प्रदायिकता की समस्या और भारत विभाजन के नाम पर बेघर-बार हुए मुस्लिम समाज के मोहभंग और उनकी वापसी की विवशता को दर्शाया गया है। यह इस उपन्यास की प्रभावशाली रचनात्मकता और इतिहास-बोध के कारण ही सम्भव हुआ कि इस छोटे से उपन्यास का उल्लेख भारत-विभाजन पर केन्द्रित गिने-चुने हिन्दी उपन्यासों में प्रमुखता के साथ किया जाता है। अपनी आवेशयुक्त शैली में कमलेश्वर ने इस कृति में आज़ादी और विभाजन के ऊहापोह में फँसे हिन्दुओं और मुसलमानों की मनःस्थिति के साथ भारत के सामाजिक ताने-बाने में आए निर्णायक बदलाव को भी रेखांकित किया है।
Kamleshwar
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd