Main Borishailla

Author :

Mahua Maji

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2019
ISBN-13

9788126712052

ISBN-10 9788126712052
Binding

Hardcover

Number of Pages 400 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 557
बांग्लादेश में एक सांस्कृतिक जगह है बोरिशाल। बोरिशाल के रहनेवाले एक पात्र से शुरू हुई यह कथा पूर्वी पाकिस्तान के मुक्ति-संग्राम और बांग्लादेश के रूप में एक नए राष्ट्र के अभ्युदय तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि उन परिस्थितियों की भी पड़ताल करती है, जिनमें साम्प्रदायिक आधार पर भारत का विभाजन हुआ और फिर भाषायी तथा भौगोलिक आधार पर पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश बना। समय तथा समाज की तमाम विसंगतियों को अपने भीतर समेटे यह एक ऐसा बहुआयामी उपन्यास है जिसमें प्रेम की अन्त:सलिला भी बहती है तथा एक देश का टूटना और बनना भी शामिल है। यह उपन्यास लेखिका के गम्भीर शोध पर आधारित है और इसमें बांग्लादेश मुक्ति-संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों तथा उर्दूभाषी नागरिकों द्वारा बांग्लाभाषियों पर किए गए अत्याचारों तथा उसके ज़बर्दस्त प्रतिरोध का बहुत प्रामाणिक चित्रण हुआ है। उपन्यास का एक बड़ा हिस्सा उस दौर के लूट, हत्या, बलात्कार, आगजनी की दारुण दास्तान बयान करता है। उस दौरान मानवीय आधार पर भारतीय सेना द्वारा पहुँचाई गई मदद और मुक्तिवाहिनी को प्रशिक्षण देने के लिए भारतीय सीमा क्षेत्र में बनाए गए प्रशिक्षण शिविरों तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर भारत सरकार द्वारा निभाई गई भूमिका का भी जि़क्र इसमें है। युवा लेखिका महुआ माजी का यह पहला उपन्यास है। लेकिन उन्होंने राष्ट्र-राज्य बनाम साम्प्रदायिक राष्ट्र की बहस को बहुत ही गम्भीरता से इसमें उठाया है और मुक्तिकथा को भाषायी राष्ट्र्रवाद की अवधारणा की पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया है। ज़मीन से जुड़ी कथा-भाषा और स्थानीय प्रकृति तथा घटनाओं के जीवन्त चित्रण की विलक्षण शैली के कारण यह उपन्यास एक गम्भीर मसले को उठाने के बावजूद बेहद रोचक और पठनीय है।

Mahua Maji

जन्म : 10 दिसम्बर। शिक्षा : समाजशास्त्र में एम.ए., पी-एच.डी., यू.जी.सी. नेट। फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट, पुणे से फिल्म ऐप्रिसिएशन कोर्स। फाइन आर्ट्स में 'अंकन विभाकर’ (रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल)। हंस, नया ज्ञानोदय, कथादेश, कथाक्रम, वागर्थ आदि पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित। अंग्रेजी, बांग्ला, पंजाबी सहित कई भाषाओं में कहानियाँ अनूदित। पहले उपन्यास 'मैं बोरिशाइल्ला’ का पहला संस्करण 2006 में राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित। इसका अंग्रेजी अनुवाद 'मी बोरिशाइल्ला’ 2008 में रूपा ऐंड कम्पनी, नई दिल्ली से प्रकाशित हुआ जिसे वर्ष 2010 में रोम, इटली स्थित यूरोप के सबसे बड़े विश्वविद्यालय 'सापिएन्जा युनिवर्सिटी ऑफ रोम’ में मॉडर्न लिट्रेचर के बी.ए. के कोर्स में शामिल किया गया। यह उपन्यास राजकमल प्रकाशन की 60वीं वर्षगाँठ के अवसर पर घोषित 60 वर्षों में प्रकाशित हिन्दी के ऐसे 30 शिखर उपन्यासों में भी शामिल है, जिन्हें मील का पत्थर कहा गया। इंटरनेट से जारी राजकमल प्रकाशन की बेस्टसेलर पुस्तकों में भी शामिल। दूसरा उपन्यास 'मरंग गोड़ा नीलकंठ हुआ’ 2012 में राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित। दिल्ली, मुम्बई, जम्मू, शिमला, कोचीन, मेरठ, गोरखपुर, हैदराबाद, बंगलुरू, केरल, इलाहाबाद, सोलापुर, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बीकानेर, राजकोट, जे.एन.यू., पटियाला, सौराष्ट्र आदि विभिन्न विश्वविद्यालयों में महुआ माजी के उपन्यासों पर शोधकार्य हो रहे हैं। सम्मान/पुरस्कार : वर्ष 2007 में लन्दन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में ब्रिटेन के आन्तरिक सुरक्षा मंत्री के हाथों 'अन्तर्राष्ट्रीय कथा यू.के. सम्मान’। वर्ष 2010 में मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी तथा संस्कृति परिषद् द्वारा 'अखिल भारतीय वीर सिंह देव सम्मान’। वर्ष 2010 में उज्जैन की कालिदास अकादमी में 'विश्व हिन्दी सेवा सम्मान’। लोक सेवा समिति, झारखंड द्वारा 'झारखंड रत्न सम्मान’, 'झारखंड सरकार का राजभाषा सम्मान’। वर्ष 2012 में राजकमल प्रकाशन कृति सम्मान : 'मैला आँचल-फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार’। सम्प्रति : झारखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष।
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