Main Jab Tak Aayi Bahar

Author:

Gagan Gill

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs254 Rs299 15% OFF

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

ISBN-13

9789360862633

ISBN-10 9360862630
Binding

Paperback

Number of Pages 168 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 13 x 1
Weight (grms) 175

‘मैं क्यों कहूँगी तुम से/अब और नहीं/सहा जाता/मेरे ईश्वर’—गगन गिल की ये काव्य-पंक्तियाँ किसी निजी पीड़ा की ही अभिव्यक्ति हैं या हमारे समय के दर्द का अहसास भी? और जब यह पीड़ा अपने पाठक को संवेदित करने लगती है तो क्या वह अभिव्यक्ति प्रकारान्तर से प्रतिरोध की ऐसी कविता नहीं हो जाती, जिसमें ‘दर्दे-तनहा’ और ‘ग़मे-ज़माना’ का कथित भेद मिटकर ‘दर्दे-इनसान’ हो जाता है? कविता इसी तरह इतिहास अर्थात समय का काव्यान्तरण सम्भव करने की ओर उन्मुख होती है। गगन गिल की इन आत्मपरक-सी लगती कविताओं के वैशिष्ट्य को पहचानने के लिए मुक्तिबोध के इस कथन का स्मरण करना उपयोगी हो सकता है कि कविता के सन्दर्भ ‘काव्य में व्यक्त भाव या भावना के भीतर से भी दीपित और ज्योतित’ होते हैं, उनका स्थूल संकेत या भाव-प्रसंगों अथवा वस्तु-तथ्यों का विवरण आवश्यक नहीं है। इन कविताओं का अनूठापन इस बात में है कि वे एक ऐसी भाषा की खोज करती हैं, जिसमें सतह पर दिखता हल्का-सा स्पन्दन अपने भीतर के सारे तनावों-दबावों को समेटे होता है—बाँध पर एकत्रित जलराशि की तरह। यह भी कह सकते हैं कि ये कविताएँ प्रार्थना के नये-से शिल्प में प्रतिरोध की कविताएँ हैं—प्रतिरोध उस हर सत्ता-रूप के सम्मुख जो मानवत्व मात्र पर, स्त्रीत्व पर भी, आघात करता है। इन आघातों का दर्द अपने एकान्त में सहने पर ही कवि-मन पहचान पाता है कि ‘मैं जब तक आयी बाहर एकान्त से अपने/बदल चुका था मर्म भाषा का’। ये कविताएँ काव्य-भाषा को उसकी मार्मिकता लौटाने की कोशिश कही जा सकती हैं। —नन्दकिशोर आचार्य.

Gagan Gill

गगन गिल,सन् 1983 में ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ कविता-शृंखला के प्रकाशित होते ही गगन गिल (जन्म : 1959, नई दिल्ली; शिक्षा : एम.ए. अंग्रेजी साहित्य) की कविताओं ने तत्कालीन सुधीजनों का ध्यान आकर्षित किया था। तब से अब तक उनकी रचनाशीलता देश-विदेश के हिन्दी साहित्य के अध्येताओं, पाठकों और आलोचकों के विमर्श का हिस्सा रही है। लगभग 35 वर्ष लम्बी इस रचना-यात्रा की नौ कृतियाँ हैं—पाँच कविता-संग्रह : ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ (1989), ‘अँधेरे में बुद्ध’ (1996), ‘यह आकांक्षा समय नहीं’ (1998), ‘थपक थपक दिल थपक थपक’ (2003), ‘मैं जब तक आयी बाहर’ (2018); एवं चार गद्य पुस्तकें : ‘दिल्ली में उनींदे’ (2000), ‘अवाक्’ (2008), ‘देह की मुँडेर पर’ (2018), ‘इत्यादि’ (2018)। ‘अवाक्’ की गणना बीबीसी सर्वेक्षण के श्रेष्ठ हिन्दी यात्रा-वृत्तान्तों में की गई है। सन् 1989-93 में ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह’ व ‘संडे ऑब्ज़र्वर’ में एक दशक से कुछ अधिक समय तक साहित्य-सम्पादन करने के बाद सन् 1992-93 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका में पत्रकारिता की नीमेन फैलो। देश-वापसी पर पूर्णकालिक लेखन। सन् 1990 में अमेरिका के सुप्रसिद्ध आयोवा इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम में भारत से आमंत्रित लेखक। सन् 2000 में गोएटे इंस्टीट्यूट, जर्मनी व सन् 2005 में पोएट्री ट्रांसलेशन सेंटर, लन्दन यूनिवर्सिटी के निमंत्रण पर जर्मनी व इंग्लैंड के कई शहरों में कविता पाठ। भारतीय प्रतिनिधि लेखक मंडल के सदस्य के नाते चीन, फ्रांस, इंग्लैंड, मॉरिशस, जर्मनी आदि देशों की एकाधिक यात्राओं के अलावा मेक्सिको, ऑस्ट्रिया, इटली, तुर्की, बुल्गारिया, तिब्बत, कम्बोडिया, लाओस, इंडोनेशिया की यात्राएँ। ‘भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार’ (1984), ‘संस्कृति सम्मान’ (1989), ‘केदार सम्मान’ (2000), ‘हिन्दी अकादमी साहित्यकार सम्मान’ (2008), ‘द्विजदेव सम्मान’ (2010), ‘अमर उजाला शब्द सम्मान’ (2018) से सम्मानित।ई-मेल : gagangill791@hotmail.com
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