Man-Maati (Hindi)

Author:

Asghar Wajahat

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Rs169 Rs199 15% OFF

Availability: Available

Shipping-Time: Usually Ships 1-3 Days

    

Rating and Reviews

0.0 / 5

5
0%
0

4
0%
0

3
0%
0

2
0%
0

1
0%
0
Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 2022
ISBN-13

9789395737012

ISBN-10 9395737018
Binding

Paperback

Edition 3rd
Number of Pages 160 Pages
Language (English)
Dimensions (Cms) 22.5X14.5X1.5
Weight (grms) 179

‘मन-माटी’ दरअसल उपन्यास से अधिक अपनी जड़ों की तलाश में लगे व्यक्तियों की व्यथा का एक दस्तावेज़ है। उपन्यास का कोई पारम्परिक ढाँचा नहीं है क्योंकि इसमें केवल किसी एक व्यक्ति या परिवार की कथा नहीं है बल्कि एक खोज है जिसे हम केन्द्रीय मुद्दा मान सकते हैं। यह केन्द्रीय समस्या तरह-तरह के रंगों में हमारे सामने आती है। इसकी झलकियाँ कहीं सूरीनाम के जंगलों में मिलती हैं तो कहीं यह अमेरिका और योरोप के महाद्वीपों में नज़र आती है। अलग-अलग देशों में बसे लोगों की खोज इस तरह उद्घाटित होती है कि माटी को मन मान लेने पर विवश होना पड़ता है। दरअसल मन और माटी के प्रतीक को लेखक ने एक बड़े फ़लक पर स्थापित करने का प्रयास किया है। असग़र वजाहत के लेखन की आत्मीय, अनौपचारिक और रोचक शैली, उनका बेबाक अन्दाज़ इस उपन्यास में पूरी तरह देखा जा सकता है। पात्रों के साथ उनके परिवेश में डूब जाना, उनके मनोभावों, आशा-निराशा, सुख-दुख के साथ आत्मीय रिश्ता बना लेना पाठक को ख़ासतौर पर सुहाता है। सरसरी ढंग से देखने पर यह बहुत सहज और सीधी बात लगती है लेकिन इसके मर्म तक पहुँचने पर लगता है कि यह तो मृत्यु और जन्म जैसे गम्भीर प्रश्न की तरह हमें चिन्तित करती है। इसी जिल्द में शामिल दूसरा उपन्यास ‘चहारदर’ हमारे समय की एक बड़ी चुनौती से साक्षात्कार करता है। भारत विभाजन और उसके दर्द को भोगती कई पीढ़ियों की यह कहानी वास्तव में ऐसी ‘सीमा रेखाओं’ की वकालत करती है जो मानवीय रिश्तों को मज़बूत करें। भारत-पाक संबंधों पर पहली बार युवा पीढ़ी के दृष्टिकोण से लिखे गए इस उपन्यास में राजनीति के षड्यंत्रों का भी पर्दाफ़ाश किया गया है जिसके लिए व्यवस्था ही सर्वोपरि है, मनुष्यता और भावनाओं की कोई कीमत नहीं।
दोनों लघु उपन्यासों की सहजता, सरलता ही उनकी विशिष्टता है।

Asghar Wajahat

No Review Found
More from Author