Pratinidhi Kahaniyan (J.Pr)

Author:

Jaishankar Prasad

Publisher:

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

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Publisher

Rajkamal Parkashan Pvt Ltd

Publication Year 1988
ISBN-13

9788126712687

ISBN-10 9788126712687
Binding

Hardcover

Number of Pages 156 Pages
Language (Hindi)
Dimensions (Cms) 20 x 14 x 4
Weight (grms) 209
जयशंकर प्रसाद (प्रतिनिधि कहानियाँ) महाकवि के रूप में सुविख्यात स्व. जयशंकर प्रसाद हिंदी नाट्य-जगत और कथा-साहित्य में भी एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। स्कंदगुप्त, चंद्रगुप्त और ध्रुवस्वामिनी सरीखे नाटक: तितली, कंकाल और इरावती-जैसे उपन्यास तथा आकाशदीप, मधुआ और पुरस्कार जैसी कहानियाँ उनके गद्य लेखन की अनुलंघ्य ऊँचाइयाँ हैं। यहाँ प्रसाद की प्रायः सभी चुनिंदा कहानियाँ संकलित हैं, जिनसे गुजरते हुए हमें न सिर्फ भारतीय दर्शन की सुखवादी मूल्य-मान्यताओं की अनुगूँजें सुनाई पड़ती हैं, बल्कि सामाजिक यथार्थ के अनेक अप्रिय स्तरों तक भी जाना पड़ता है। वास्तव में प्रसाद के लिए साहित्य की रचना एक सांस्कृतिक-कर्म है और भारतीय परंपरा के प्राचीन अथवा उसके सनातन मूल्यों में गहन आस्था के बावजूद वे मनुष्य की वैयक्तिक मुक्ति के आकांक्षी नहीं हैं। व्यक्ति हो या समाज, वे उसे स्वाधीन और रूढ़िमुक्त देखना चाहते हैं। यही कारण है कि इन कहानियों में ऐसे अविस्मरणीय चरित्रों का बाहुल्य है, जो स्वाधीनता और मानव-गरिमा को सर्वोपरि मानते हैं। इतिहास और संस्कृति के ऐसे अनेक मनोरम दृश्यचित्र इन कहानियों में उकेरे गए हैं, जो हमें न केवल मुग्ध कर देते हैं, बल्कि कुछ सोचने पर भी विवश करते हैं।

Jaishankar Prasad

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