Publisher |
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year |
2017 |
ISBN-13 |
9788126704255 |
ISBN-10 |
9788126704255 |
Binding |
Paperback |
Number of Pages |
185 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 x 14 x 4 |
प्रतिनिधि कविताएँ : गजानन माधव मुक्तिबोध मुक्तिबोध की कविता अपने समय का जीवित इतिहास है : वैसे ही, जैस अपने समय में कबीर, तुलसी और निराला की कविता। हमारे समय का यथार्थ उनकी कविता में पूरे कलात्मक सन्तुलन के साथ मौजूद है। उनकी कल्पना वर्तमान से सीधे टकराती है, जिसे हम फन्तासी की शक्ल में देखते हैं। नई कविता की पायेदार पहचान बनकर भी उनकी कविता उससे आगे निकल जाती है, क्योंकि समकालीन जीवन के हॉरर की तीव्रतम अभिव्यक्ति के बावजूद वह एक गहरे आत्मविश्वास की उपज है। चीजों को वे मार्क्सवादी नजरिए से देखते हैं, इसीलिए उनकी कविताएँ सामाजिक यथार्थ के परस्पर गुम्फित तत्त्वों और उनके गतिशील यथार्थ की पहचान कराने में समथ हैं। वे आज की तमाम अमानवीयता के विरुद्ध मनुष्य की अन्तिम विजय का भरोसा दिलाती हैं। इस संग्रह में, जिसे मुक्तिबोध और उनके साहित्यिक अवदान की गहरी पहचान रखनेवाले सुपरिचित कवि, समीक्षक श्री अशोक वाजपेयी ने संकलित-सम्पादित किया है, उनकी प्रायः वे सभी कविताएँ संगृहीत हैं, जिनके लिए वे बहुचर्चित हुए हैं, और जो प्रगतिशील हिन्दी कविता की पुख्ता पहचान बनी हुई है।
Gajanan Madhav Muktibodh
गजानन माधव मुक्तिबोध
जन्म : 13 नवम्बर, 1917 को श्योपुर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)।
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), नागपुर विश्वविद्यालय।
विवाह : माता-पिता की असहमति से प्रेम-विवाह।
आजीविका : 20 वर्ष की उम्र से बडऩगर मिडिल स्कूल में मास्टरी आरम्भ करके दौलतगंज (उज्जैन), शुजालपुर, इन्दौर, कलकत्ता, बम्बई, बंगलौर, बनारस, जबलपुर, नागपुर में थोड़े-थोड़े अरसे रहे।
अन्ततः 1958 में दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगाँव में प्राध्यापक।
अभिरुचि : अध्ययन-अध्यापन, पत्रकारिता। साथ ही साहित्य, आकाशवाणी, राजनीति की नियमित-अनियमित व्यस्तता के बीच।
Gajanan Madhav Muktibodh
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