Availability: Available
Shipping-Time: Usually Ships 1-3 Days
0.0 / 5
| Publisher | Prabhat Prakashan Pvt. Ltd |
| Publication Year | 2024 |
| ISBN-13 | 9789350484111 |
| ISBN-10 | 9350484110 |
| Binding | Hardcover |
| Number of Pages | 144 Pages |
| Language | (Hindi) |
| Dimensions (Cms) | 22 X 14 X 1.2 |
| Weight (grms) | 183 |
रवींद्रनाथ ठाकुर विश्व साहित्य जगत् में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का नाम अमर है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी टैगोर ने कविता, गान, कथा, नाटक, उपन्यास, प्रबंध, शिल्पकला इत्यादि विधाओं में साहित्य-सृजन किया। वे कुशल संगीतकार भी थे। उनका संगीत ‘रवींद्र संगीत’ के नाम से जाना जाता है। वे एक उच्च कोटि के चित्रकार भी थे। हमारा राष्ट्रगान—‘जन गण मन’ और बँगलादेश का राष्ट्रीय गान—‘आमार सोनार बांग्ला’ उन्हीं की अमर रचनाएँ हैं। ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। इसका एक अनूदित काव्यांश देखिए— ‘स्वप्न मेरा किस गंध से हुआ सुवासित, किस आनंद से काँप उठा घर का अँधेरा धूल में पड़ी नीरव मेरी वीणा— बज उठी अनाहत, पाकर कौन सा आघात।’ गुरुदेव ने शिक्षा को नई दिशा देने के लिए ‘शांतिनिकेतन’ की स्थापना की। गांधीजी को ‘महात्मा’ की उपमा दी, जो बापू के नाम का पर्याय बन गई। विश्वपटल पर अपनी अप्रतिम बहुमुखी प्रतिभा और क्षमताओं का लोहा मनवानेवाले गुरुदेव की प्रेरणादायी प्रामाणिक जीवनी।.
Dinkar Kumar
Prabhat Prakashan Pvt. Ltd