Publisher |
RADHAKRISHAN PRAKASHAN PVT. LTD |
Publication Year |
2018 |
ISBN-13 |
9788171198832 |
ISBN-10 |
9788171198832 |
Binding |
Hardcover |
Number of Pages |
163 Pages |
Language |
(Hindi) |
Dimensions (Cms) |
20 X 14 X 4 |
Weight (grms) |
1000 |
‘गीतांजलि’ गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर (1861-1941) की सर्वाधिक br>प्रशंसित और पठित पुस्तक है ! इसी पर उन्हें 1913 में विश्वप्रसिद्द नोबेल पुरस्कार भी मिला ! इसके बाद अपने पुरे जीवनकाल में वे भारतीय साहित्याकाश पर छाए रहे ! साहित्य की विभिन्न विधाओं, संगीत और चित्रकला में सतत सृजनरत रहते हुए उन्होंने अंतिम साँस तक सरस्वती की साधना की और भारतवासियों के लिए ‘गुरुदेव’ के रूप में प्रतिष्ठित हुए ! प्रकृति, प्रेम, इश्वर के प्रति निष्ठा, आस्था और मानवतावादी मूल्यों के प्रति समर्पण भाव से संपन्न ‘गीतांजलि’ के गीत पिछली एक सदी से बांग्लाभाषी जनों की आत्मा में बसे हुए हैं ! विभिन्न भाषाओँ में हुए इसके अनुवादों के माध्यम से विश्व-भर के सहृदय पाठक इसका रसास्वादन कर चुके हैं ! प्रतुत अनुवाद हिंदी में अब तक उपलब्ध अन्य अनुवादों से इस अर्थ में भिन्न है कि इसमें मूल बांग्ला रचनाओं की गीतात्मकता को बरक़रार रखा गया है, जो इन गीतों का अभिन्न हिस्सा है ! इस गेयता के कारण आप इन गीतों को याद रख सकते हैं, गा सकते हैं !.
Ravindrananth Tagore
जन्म: 7 मई, 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी। रवीन्द्रनाथ ठाकुर को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्रगान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान आमार सोनार बांग्ला गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं। कृतियाँ: गीतांजलि, गीताली, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी, शिशु, शिशु भोलानाथ, कणिका, क्षणिका, खेया आदि प्रमुख हैं। सम्मान: ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। निधन: 7 अगस्त, 1941.
Ravindrananth Tagore
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