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Publisher | Rajkamal Parkashan Pvt Ltd |
Publication Year | 2018 |
ISBN-13 | 9789387462250 |
ISBN-10 | 9387462250 |
Binding | Paperback |
Number of Pages | 376 Pages |
Language | (Hindi) |
Dimensions (Cms) | 20 x 14 x 4 |
Weight (grms) | 360 |
अस्सी की होने चली दादी ने विधवा होकर परिवार से पीठ कर खटिया पकड़ ली। परिवार उसे वापस अपने बीच खींचने में लगा। प्रेम, वैर, आपसी नोकझोंक में खदबदाता संयुक्त परिवार। दादी बजि़द कि अब नहीं उठूँगी। फिर इन्हीं शब्दों की ध्वनि बदलकर हो जाती है अब तो नई ही उठूँगी। दादी उठती है। बिलकुल नई। नया बचपन, नई जवानी, सामाजिक वर्जनाओं-निषेधों से मुक्त, नए रिश्तों और नए तेवरों में पूर्ण स्वच्छन्द।
Geetanjali Shree
Rajkamal Parkashan Pvt Ltd